मधुबनी पेंटिंग – मिथिला का गौरव
मिथिला या मधुबनी पेंटिंग भारत की एक पारंपरिक लोककला है, जो मुख्यतः बिहार तथा नेपाल के मिथिला क्षेत्र में प्रचलित है। यह कला सरल लेकिन गहरी भावनाओं की अभिव्यक्ति करती है
मिथिला या मधुबनी पेंटिंग भारत की एक पारंपरिक लोककला है, जो मुख्यतः बिहार तथा नेपाल के मिथिला क्षेत्र में प्रचलित है। यह कला सरल लेकिन गहरी भावनाओं की अभिव्यक्ति करती है
पुनौरा धाम सीतामढ़ी – सितामढ़ी जिला मुख्यालय से 1 कोस की दूरी पर पुनौरा गाँव है। राजा जनक के हल चलाते समय माता सीता का यहीं जन्म हुआ था ।
अहिल्या स्थान और गौतम कुंड दोनों मिथिला क्षेत्र के महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं, जो पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से
उच्चैठ भगवती मधुबनी के बेनीपट्टी थाना क्षेत्र में स्थित है। यहाँ देवी दुर्गा का एक प्राचीन और विशाल मंदिर है। इस गाँव में देवी दुर्गा का एक अनोखा मंदिर है
रामायण में वर्णित जनकपुर धाम का जितना वर्णन किया जाए कम है । यह माता सीता कि जन्म भुमि तथा श्री राम चंद्र की विवाह स्थली है ।
आज के इस आधुनिक युग में मिथिला में नाटक की परंपरा लगभग समाप्त हो चुकि है । अगर आप मिथिला से हैं तो आपने बचपन में देखा होगा बहुत सारे नाटक या रामायण मंडली गांव-गांव में अपने नाटय कला का प्रदशन करते थे ।
यह त्योहारहर साल कार्तिक माह के पहले सप्ताह में छठ के पारण दिन से बिहार, झारखंड, बंगाल, उड़ीसा और नेपाल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है – यह त्योहार भाई-बहनों को एकजुट करता है
गॊनू झा पहुंचला नर्क भाग 1 – एक बार की बात है, मैं जय चन्द्र झा और गोनू झा दोनों
छोटॆ भाई भोनू झा को भी उम्मीद थी कि अगर गोनू बाबू अधिकारी बन गए, तॊ गाँव के झंझट और बँटवारे की समस्याएँ अपने आप खत्म हो जाएग़ी एवं भैंस तथा कम्बल दोनो मेरे हो जाएंगे ।
मैथिली भाषा भारत के बिहार और झारखंड राज्यों के साथ-साथ नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। यह भाषा हिंद-आर्य भाषा परिवार की सदस्य है और यह मगधी प्राकृत से विकसित हुई और मध्यकालीन
वॆद ग्रन्थ विश्व कॆ पुस्तकाल्य का प्राचीनतम् ग्रन्थ माना गया है | उसमॆं गंगा, यमुना आदि नदियॊं का यथास्थान उल्लॆख पाया गया है लॆकिन पर्वत राज हिमालय का नहीं |
दिए के नीचे अंधेरा होता है – संपूर्ण संसार को अपने प्रकाश से प्रकाशवान करने वाला मैथिल समाज आज अपने