Author name: Prof Shiv Chandra Jha

प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।

बिहार में सर्दी का कहर
समाचार

बिहार में सर्दी का कहर -दरभंगा, मधुबनी और सीतामढ़ी में भी बढ़ी कनकनी

बिहार में सर्दी का कहर लगातार बढ़ रहा है। उत्तरी पछुआ हवाओं और घने कोहरे ने आम जनजीवन को प्रभावित […]

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बिहार: DRI ने 1,680 किलो मानव बाल जब्त किए, नेपाल के रास्ते चीन भेजे जा रहे थे, 3 गिरफ्तार
मधुबनी, समाचार

मधुबनी: DRI ने 1,680 किलो मानव बाल जब्त किए, नेपाल के रास्ते चीन भेजे जा रहे थे, 3 गिरफ्तार

मधुबनी जिले के मधवापुर सीमा पर राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने एक बड़ी कार्रवाई में 1,680 किलो मानव बाल का

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7 जनवरी को मनाया जाएगा मैथिली दिवस
आलेख

7 जनवरी को मनाया जाएगा मैथिली दिवस

मैथिली साहित्य संस्थान और कला एवं शिल्प महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में मैथिली दिवस मनाने के लिए एक परिचर्चा और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

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बिहारी लिट्टी-चोखा
भानस घर

बिहारी लिट्टी-चोखा

बिहारी लिट्टी-चोखा – लिट्टी-चोखा बिहार का पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन है। यह देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी अलग पहचान बना चुका है।

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खट्टी-मीठी तिल चटनी
भानस घर

खट्टी-मीठी तिल चटनी

खट्टी-मीठी तिल चटनी मिथिला के पारंपरीक खाने का अभिन्न अंग है । मिथिला में इसे विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानो तथा भोज-भात के अवसर पर बनाया जाता है ।

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तिला संक्रांति विशेष- चूड़ा की लाई
भानस घर

तिला संक्रांति विशेष- चूड़ा की लाई

चूड़ा की लाई मिथिला के भोजन का एक पारंपरिक हिस्सा है, जिसे खासतौर पर सर्दियों में खाया जाता है। यह सेहत के लिए कई फायदे प्रदान करता है।

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पुनौरा धाम सीतामढ़ी
धर्म-दर्शन

पुनौरा धाम सीतामढ़ी

पुनौरा धाम सीतामढ़ी – सितामढ़ी जिला मुख्यालय से 1 कोस की दूरी पर पुनौरा गाँव है। राजा जनक के हल चलाते समय माता सीता का यहीं जन्म हुआ था ।

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अहिल्या स्थान
धर्म-दर्शन

अहिल्या स्थान

अहिल्या स्थान और गौतम कुंड दोनों मिथिला क्षेत्र के महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं, जो पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से

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महाकवि विद्यापति की मैथिली काव्य रचनाएँ
लॊक कथा

महाकवि विद्यापति की मैथिली काव्य रचनाएँ

आज के इस आधुनिक युग में मिथिला में नाटक की परंपरा लगभग समाप्त हो चुकि है । अगर आप मिथिला से हैं तो आपने बचपन में देखा होगा बहुत सारे नाटक या रामायण मंडली गांव-गांव में अपने नाटय कला का प्रदशन करते थे ।

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सामा चकेवा की कथा
लॊक कथा

सामा चकेवा की कथा

यह त्योहारहर साल कार्तिक माह के पहले सप्ताह में छठ के पारण दिन से बिहार, झारखंड, बंगाल, उड़ीसा और नेपाल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है – यह त्योहार भाई-बहनों को एकजुट करता है

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