7 जनवरी को मनाया जाएगा मैथिली दिवस – पटना, जय चन्द्र झा
मैथिली साहित्य संस्थान और कला एवं शिल्प महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में मैथिली दिवस मनाने के लिए एक परिचर्चा और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की जानकारी मैथिली साहित्य संस्थान के सचिव भैरव लाल दास और कला एवं शिल्प महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. राखी कुमारी ने दी। उन्होंने बताया कि हर साल 7 जनवरी को मैथिली दिवस मनाया जाता है ताकि मैथिली भाषा के भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने को याद किया जा सके।
मैथिली भाषा और इसके समृद्ध इतिहास पर ध्यान केंद्रित
इस कार्यक्रम के अंतर्गत मैथिली भाषा के इतिहास पर एक विस्तृत संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें भाषा के उद्भव, विकास और साहित्यिक योगदान पर गहन चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही, मैथिली के विभिन्न पहलुओं जैसे लोक साहित्य, कला, संगीत और सामाजिक प्रभाव पर परिचर्चा भी होगी। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य मैथिली भाषा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को जन-जन तक पहुँचाना है। विद्वानों और शोधकर्ताओं के साथ-साथ, भाषा प्रेमी भी इस चर्चा में अपने विचार, अनुभव और नवीन शोध प्रस्तुत करेंगे, जिससे मैथिली भाषा को और समृद्ध बनाया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका “मिथिला भारती” का विमोचन
इस उत्सव का मुख्य आकर्षण अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका मिथिला भारती का विमोचन होगा। इस पत्रिका के संपादक डॉ. शिव कुमार मिश्र ने बताया कि मिथिला भारती बिहार की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका है, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा कला और मानविकी के लिए CARE सूची में शामिल किया गया है। यह पत्रिका मैथिली भाषा और संस्कृति पर आधारित शोध को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है। इसमें न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी विद्वानों के शोध लेख प्रकाशित होते हैं। इनमें अमेरिका, नेपाल, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे स्थानों के विशेषज्ञों के लेख शामिल हैं। यह पत्रिका बिहार की सांस्कृतिक धरोहर, मिथिला की परंपराओं, भाषाई विकास और लोक साहित्य पर नवीनतम अनुसंधान को प्रस्तुत करती है। इसके माध्यम से मैथिली भाषा और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने की दिशा में एक सार्थक पहल की गई है।
विद्वानों और भाषा प्रेमियों के लिए मंच
इस कार्यक्रम में मैथिली के प्रसिद्ध विद्वानों जैसे डॉ. शिव कुमार मिश्र, डॉ. रमा नंद झा, और प्रोफेसर विद्यानंद झा भाग लेंगे, जो मैथिली साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं। इनके अलावा, विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से जुड़े शोधार्थी, जैसे नेपाल से डॉ. अरुण कुमार झा और अमेरिका से प्रो. ज्योत्सना मिश्रा, भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय भाषा प्रेमी भी इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे, जो अपनी रुचि और शोध कार्य के माध्यम से इस भाषा को और समृद्ध बनाने का प्रयास करेंगे। चर्चा का मुख्य उद्देश्य मैथिली भाषा और साहित्य को संरक्षित और बढ़ावा देना है। पुस्तक विमोचन और शोध पत्रिका का विमोचन बौद्धिक संवाद के लिए एक मंच प्रदान करेगा और मैथिली के अध्ययन और प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरणा देगा।
मैथिली दिवस का महत्व
मैथिली दिवस बिहार और पूरे विश्व के मैथिली भाषी समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मैथिली को शामिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिससे इस भाषा को मान्यता और विकास के लिए समर्थन मिला। इस उत्सव का उद्देश्य इस प्राचीन भाषा को संरक्षित और सहेजने की आवश्यकता पर जोर देना है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सांस्कृतिक धरोहर और वैश्विक योगदान
कार्यक्रम के दौरान मैथिली के भारतीय संस्कृति में योगदान और इसकी वैश्विक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला जाएगा। मिथिला भारती में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शोध पर आधारित लेख इस बात को रेखांकित करते हैं कि क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए अंतःविषय अध्ययन और सहयोग कितना महत्वपूर्ण है।
मैथिली दिवस का उत्सव न केवल इस भाषा की ऐतिहासिक जड़ों को सम्मान देता है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को अपनी भाषाई धरोहर को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। 7 जनवरी को जब मैथिली भाषी समुदाय एकत्र होगा, यह कार्यक्रम मैथिली की समृद्ध विरासत को सम्मानित करने वाला एक जीवंत और अर्थपूर्ण आयोजन साबित होगा।
पूर्व में हुए कार्यक्रमों की झलक
मैथिली दिवस के पूर्व आयोजनों ने हमेशा एक जीवंत और सांस्कृतिक माहौल प्रस्तुत किया है। इन कार्यक्रमों में विद्वानों और साहित्यकारों की सक्रिय भागीदारी ने इसे खास बनाया है। हर वर्ष के आयोजन में मैथिली साहित्य, कला, और संस्कृति को गहराई से समझने और साझा करने का अवसर मिलता है।
पिछले वर्ष हुए आयोजन की बात करें तो, एक भव्य मैथिली कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें जाने-माने कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से भाषा की सुंदरता और महत्व को उजागर किया। यह सम्मेलन न केवल भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम बना, बल्कि मैथिली कविता के प्रति नई पीढ़ी में उत्साह जगाने का भी प्रयास किया।
इसके अतिरिक्त, मैथिली लोकगीतों और नृत्य प्रस्तुतियों ने पूरे कार्यक्रम को सांस्कृतिक रंग में रंग दिया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मैथिली की समृद्ध परंपराओं और इसकी सांस्कृतिक गहराइयों से रूबरू कराया।
शोध पत्रों की प्रस्तुतियों और परिचर्चाओं में विद्वानों ने मैथिली भाषा और उसके विकास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस दौरान “मिथिला भारती” के पिछले संस्करणों में प्रकाशित शोध लेखों पर चर्चा भी एक आकर्षण का केंद्र रही। इन चर्चाओं ने मैथिली की चुनौतियों और संभावनाओं को समझने में मदद की।
इन कार्यक्रमों ने न केवल मैथिली भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी किया। यह आयोजन हर बार भाषा प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव बनता है।
7 जनवरी को मनाया जाएगा मैथिली दिवस – प्रस्तुती जय चन्द्र झा jcmadhubani@yahoo.com
(C) All Copy Right Are Reserved To TheMithila.Com & NXG Digital. Unauthorised Copy Is Strictly Prohibited.
अपनी राय भॆजॆं | संपादक कॊ पत्र लिखॆं | Facebook पर फॉलो करें |