तिला संक्रांति विशेष- चूड़ा की लाई

चूड़ा की लाई एक पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक मिठाई है जो चूड़ा (पोहा) और गुड़ के मिश्रण से बनाई जाती है। इसे मिथिला में विशेष अवसरों, त्योहारों और रोज़मर्रा के नाश्ते के लिए बनाया जाता है। मिथिला के बहुत से संस्कारो जैसे उपनयन आदि में भी इसे तैयार किया जाता है । यह हमारी संस्कृती का अभिन्न हिस्सा है । आइये जानते है इसे तैयार करने कि विधि ।

chura ka lai

चूड़ा की लाई

तिला संक्रांति विशेष- चूड़ा की लाईProf Shiv Chandra Jha
चूड़ा लाई एक पारंपरिक मिठाई है, जिसे विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे क्षेत्रों में बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए चूड़ा (पोहा) और गुड़ का उपयोग किया जाता है।
Cook Time 1 hour
Course Breakfast
Cuisine Indian
Servings 4

Equipment

  • 1 Lohiya

Ingredients
  

चूड़ा (पोहा) – 250 ग्राम

गुड़ – 200 ग्राम (कद्दूकस किया हुआ)

पानी – 1/4 कप

घी – 1-2 चम्मच

सूखे मेवे – कटे हुए काजू, बादाम, किशमिश (वैकल्पिक)

Instructions
 

  • चूड़ा तैयार करें: चूड़े को छानकर किसी सूखी कढ़ाई में हल्का सा भून लें ताकि वह कुरकुरा हो जाए। इसे अलग रख दें।
  • गुड़ की चाशनी बनाएं: एक कढ़ाई में पानी और कद्दूकस किया हुआ गुड़ डालें। इसे धीमी आंच पर गर्म करें और लगातार चलाते रहें।
  • जब गुड़ पूरी तरह से पिघल जाए और एक तार की चाशनी बन जाए (चेक करने के लिए, चाशनी को दो उंगलियों के बीच खींचें, अगर यह एक तार की तरह खिंचती है, तो तैयार है), तो गैस बंद कर दें।
  • चूड़ा और मेवे मिलाएं: चाशनी में पहले से भूना हुआ चूड़ा डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
  • अगर आप सूखे मेवे डालना चाहते हैं, तो अब डालें।
  • लाई बनाएं: जब मिश्रण हल्का ठंडा हो जाए और हाथ से संभालने लायक गरम हो, तो हाथ में थोड़ा सा घी लगाकर मिश्रण से छोटी-छोटी गोलियां (लाई) बनाएं।
  • लाई को एक प्लेट में रखें और ठंडा होने दें।
  • सर्व करें: छुड़ा की लाई तैयार है। इसे परोसें या एयरटाइट डिब्बे में स्टोर करें। यह कई दिनों तक ताज़ा रहती है।

Notes

महत्वपूर्ण टिप्स:

  • गुड़ की चाशनी बनाते समय ध्यान रखें कि चाशनी ज्यादा गाढ़ी न हो जाए, वरना लाई सख्त हो सकती है।
  • अगर गुड़ की जगह चीनी इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो वही प्रक्रिया अपनाएं।
  • अगर लाई बनाने में मिश्रण ठंडा होकर सख्त हो जाए, तो इसे हल्का गरम कर सकते हैं।
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चूड़ा की लाई मिथिला के भोजन का एक पारंपरिक हिस्सा है, जिसे खासतौर पर सर्दियों में खाया जाता है। यह सेहत के लिए कई फायदे प्रदान करता है।

  • चूड़ा की लाई कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होती है, जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करती है। यह व्यस्त दिनचर्या के दौरान जल्दी भूख मिटाने के लिए उपयुक्त है।
  • चूड़ा हल्का और आसानी से पचने वाला होता है। यह पेट के लिए हल्का होता है और अपच की समस्या में राहत देता है।
  • चूड़ा आयरन का अच्छा स्रोत है, जो खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने में सहायक होता है। आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
  • कम कैलोरी वाला यह स्नैक वजन कम करने वालों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसे गुड़ या शहद के साथ खाने से यह पोषण और स्वाद दोनों में सुधार करता है।
  • इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स त्वचा को चमकदार और बालों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • इसे गुड़ और तिल के साथ खाने से कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
  • चूड़ा की लाई को गुड़ और घी के साथ मिलाकर खाने से शरीर को अंदर से गर्मी मिलती है, जो ठंड के मौसम में फायदेमंद होता है।
  • यह धीरे-धीरे पचता है और ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है।
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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।
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