पूजा के हेतु शंकर आयल छी हम पुजारी / मैथिली लोकगीत
पूजा के हेतु शंकर आयल छी हम पुजारी
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पूजा के हेतु शंकर आयल छी हम पुजारी
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पराती लोकगीत – मैथिली प्राति गीत लिरिक्स
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बाबा विद्यापति (1352-1448 ई.) मिथिला के कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और राज पुरोहित थे। वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे, लेकिन उनके लेखन में प्रेमगीत और वैष्णव भक्ति गीतों की भी प्रमुखता थी
कवि विद्यापति की थी दो पत्नियाँ : जीवन परिचय और पृष्टभूमी
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अरुण झा की कविताएँ जिंदगी के छोटे-बड़े लम्हों, रिश्तों की गहराइयों और इंसानी जज्बातों को छूती हैं। उनकी रचनाओं में एक ऐसी सादगी और गहराई है, जो सीधे दिल तक पहुंचती है।
गोनू झा को सम्पूर्ण मिथिलांचल में बीरबल के नाम से पहचाना जाता है | जिस प्रकार बीरबल और तेनाली राम अपनी चतुराई और हाजिर जबाबी के लिए प्रसिद्ध हैं उसी तरह गोनू झा भी अपनी चतुराई और वाक्पटुता के लिए समपर्ण मिथिलांचल में प्रसिद्ध हैं |
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
हे माँ गरदनि लग लियोऊ माँ
हम सब छी धीया-पूता आहाँ महामाया
लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ ( महाकवि विद्यापति ) Read Post »
जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर लिरिक्स – विद्यापती कॆ लॊकगित
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मचिये बैसल तोहें राजा हेमन्त ॠषि
सुनु आहाँ बचन हमार गे माई
गौरी कुमारी कते दिन रहता
ई नहिं उचित विचार गे माई