सामा खेल चलली भौजी संग सहेली लिरिक्स – सामा गीत लिरिक्स | Sama Khela Chalali Lyrics

सामा खेल चलली भौजी संग सहेली लिरिक्स - सामा गीत लिरिक्स | Sama Khela Chalali Lyrics

सामा खेल चलली भौजी संग सहेली लिरिक्स – सामा गीत लिरिक्स | Sama Khela Chalali Lyrics

सामा खेल चलली भौजी संग सहेली
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली
हो हो भैया जीवऽ हो हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली…

कांच बांस के रंगी रंग डाला, चकमक चमके दीयरा
कांच बांस के रंगी रंग डाला, चकमक चमके दीयर
देख के भैया भौजी के जोड़ी, हुलसे हम्मर जियरा हो
हो जुग जुग जीयऽ हो, हो भैया जीयऽ हो
हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली -2
हो…हो भैया जीवऽ हो, हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली

स्वर्ग परी संग गगन से उतरल, हम्मर बौआ गोर
स्वर्ग परी संग गगन से उतरल, हम्मर बौआ गोर
सबके आंगन बौआ नाचै, जहिना नवका भोर
हो…हो जुग जुग जीयऽ हो, हो भैया जीयऽ हो
हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली -2
हो…हो भैया जीवऽ हो, हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली

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सब कोई घर से बाहर भेली, पेन्ही पेन्ही लाल पटोर
सब कोई घर से बाहर भेली, पेन्ही पेन्ही लाल पटोर
मोरल बेसक सेनुर टिकुली, आनल भैया मोर हो
हो जुग जुग जीयऽ हो, हो भैया जीयऽ हो
हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली -2
हो…हो भैया जीवऽ हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली

साम चकेबा संग संग खेलब, जारब चुगलक ठोर
साम चकेबा संग संग खेलब, जारब चुगलक ठोर
चान सनक दुलारी बहिनिया, झर झर झहरै लोर हो
हो जुग जुग जीयऽ हो, हो भैया जीयऽ हो
हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली -2
हो…हो जुग जुग जीयऽ हो, भैया जीवऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली

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एैरिन बैरिन निहुछी के फेंकब, भैया के ओहि पार
एैरिन बैरिन निहुछी के फेंकब, भैया के ओहि पार
साम चकेबा संग बसाएब, कोसी कमला धार हो
हो जुग जुग जीयऽ हो, हो भैया जीयऽ हो
हो जुग जुग जीयऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली हो
हो जुग जुग जीयऽ हो, हो भैया जीवऽ हो
सामा खेल चलली भौजी संग सहेली -2

चाउर चाउर चाउर भैया कोठी चाउर
चाउर चाउर चाउर भैया कोठी चाउर
छाउर छाउर छाउर चुगला घर मे छाउर
छाउर छाउर छाउर चुगला घर मे छाउर
चुकला करे चुगली बिल्लैया करे म्याऊं
चुकला करे चुगली बिल्लैया करे म्याऊं
चुकला के झिभ हम नोची नोची खाऊं
चुकला के झिभ हम नोची नोची खाऊं
चुकला के झिभ हम नोची नोची खाऊं…

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जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।
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