सावित्री मन्त्र – Savitri Mantra

सावित्री मन्त्र - Savitri Mantra

सावित्री मन्त्र – Savitri Mantra -सावित्री मंत्र गायत्री मंत्र से अलग नहीं है। वे एक ही की अलग-अलग अभिव्यक्तियाँ हैं। गायत्री (नौ मुखों वाली) और सावित्री (पाँच मुखों वाली) वास्तव में मानव जीवन में अतीन्द्रिय और संवेदी उत्कृष्टता की पहचान करती हैं जिन्हें योगिक भाषा में ऋद्धि और सिद्धि के रूप में जाना जाता है। गायत्री और सावित्री अविभाज्य हैं – अग्नि में गर्मी और प्रकाश की तरह निहित हैं।

सावित्री मंत्र हिंदू धर्म में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और पूजनीय वैदिक मंत्र है, जिसे विशेष रूप से देवी सावित्री से जोड़ा जाता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है, बल्कि जीवन में पवित्रता, ज्ञान, और सुरक्षा प्रदान करने में भी सहायक माना जाता है। इसे परंपरागत रूप से वैदिक संध्या के दौरान गाया जाता है और यह विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और जीवन के महत्वपूर्ण चरणों में शामिल होता है।

सावित्री मंत्र का महत्व:

  1. आध्यात्मिक ज्ञान और आशीर्वाद: यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है और इसे देवी सावित्री के आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए गाया जाता है।
  2. पितरों का आह्वान और श्राद्ध: श्राद्ध के दौरान, पूर्वजों की आत्माओं का आह्वान करने और उनकी शांति के लिए सावित्री मंत्र का उपयोग किया जाता है।
  3. अनुष्ठानों में उपयोग: उपनयन संस्कार जैसे जीवन के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में इस मंत्र का पाठ अत्यंत आवश्यक है। इसे नवयुवक के आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
  4. पापों का नाश और शुद्धि: सावित्री मंत्र का नियमित जाप पापों के नाश और शारीरिक एवं मानसिक शुद्धि के लिए लाभकारी माना गया है।
और पढें  ना मंत्रम नो यंत्रम लिरिक्स हिंदी अर्थ | Na Mantram No Yantram Lyrics Hindi

धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान:

  • पुराणों में उल्लेख: विभिन्न पुराणों जैसे स्कंद पुराण, देवी भागवत पुराण, और अग्नि पुराण में सावित्री मंत्र का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इसे देवी के प्रति समर्पण और अनुष्ठानों के लिए अत्यधिक शक्तिशाली बताया गया है।
  • धर्मशास्त्र में योगदान: मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में इसे धार्मिक आचरण और उपनयन में उपयोगी बताया गया है।
  • वैदिक शिक्षा में भूमिका: प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली में उपनयन संस्कार के दौरान सावित्री मंत्र सिखाया जाता था, जो जीवन में ज्ञान और धर्म का मार्ग प्रशस्त करता था।

क्षेत्रीय और वैदिक दृष्टिकोण:

  • वैष्णव धर्म में उपयोग: वैष्णव परंपरा में इस मंत्र को विशेष रूप से ब्राह्मणों द्वारा वैदिक संध्या के समय गाया जाता है।
  • संस्कृत व्याकरण में अध्ययन: व्याकरणिक दृष्टि से भी इस मंत्र को ध्वनि और भाव के संदर्भ में अध्ययन का विषय माना गया है।

आध्यात्मिक प्रथाओं में भूमिका:

सावित्री मंत्र को सुरक्षा, आशीर्वाद, और पवित्रता का स्रोत माना जाता है। इसे विधवापन से रक्षा, राक्षसों से मुक्ति, और देवी से जुड़े विभिन्न आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी गाया जाता है।

उपसंहार:

सावित्री मंत्र न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में सकारात्मक ऊर्जा और मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह हिंदू परंपरा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो हमें हमारे मूल्यों और धार्मिक धरोहर से जोड़ता है।

और पढें  वर्ष 2024-25 के पाबनि- तिहारक सूचि

यहाँ कुछ प्रमुख संदर्भ दिए गए हैं जो सावित्री मंत्र के महत्व और उसके उपयोग के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं:

1. स्कंद पुराण:

  • सावित्री मंत्र को देवी सावित्री की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह मंत्र आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में सुरक्षा प्रदान करने के लिए गाया जाता है।
  • स्रोत: स्कंद पुराण, अर्चना खंड

2. देवी भागवत पुराण:

  • गायत्री देवी से संबंधित, सावित्री मंत्र को आध्यात्मिक उन्नति और देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।
  • स्रोत: देवी भागवत पुराण, नवम स्कंध

3. अग्नि पुराण:

  • शुद्धि और पवित्रता के लिए इस मंत्र का उपयोग विशेष रूप से स्नान और अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है।
  • स्रोत: अग्नि पुराण, अध्याय 163

4. मनुस्मृति:

  • सावित्री मंत्र को उपनयन जैसे संस्कारों में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसे आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत और धार्मिक अनुशासन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
  • स्रोत: मनुस्मृति, अध्याय 2, श्लोक 66-77

5. चैतन्य भागवत:

  • वैदिक संध्या और ब्राह्मण अनुष्ठानों में सावित्री मंत्र का उल्लेख है। इसे वैष्णव धर्म में देवी सावित्री के प्रति भक्ति प्रकट करने के लिए पढ़ा जाता है।
  • स्रोत: चैतन्य भागवत, मध्य लीला

6. लिंग पुराण:

  • यह मंत्र वश में करना, आकर्षण, और अन्य धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोगी बताया गया है।
  • स्रोत: लिंग पुराण, अध्याय 92

7. शिव पुराण:

  • सावित्री मंत्र को सूर्य से संबंधित अनुष्ठानों में और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • स्रोत: शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता
और पढें  यज्ञोपवीत मंत्र - जनेऊ मंत्र - वाजसनेयि यज्ञोपवीत मंत्र - छन्दोग जनेऊ मंत्र

8. भर्तृहरि के वाक्यपदीय:

  • संस्कृत व्याकरण में, सावित्री मंत्र को ध्वनि और उच्चारण के संदर्भ में वर्णित किया गया है। इसे वैदिक समारोहों में उपयोगी माना गया है।
  • स्रोत: वाक्यपदीय, प्रकरण 1, श्लोक 55

9. भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली:

  • सावित्री मंत्र का अध्ययन और शिक्षा में उपयोग प्राचीन भारतीय शैक्षिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
  • स्रोत: धर्मशास्त्र और शिक्षा प्रणाली पर शोध ग्रंथ

10. गरुड़ पुराण:

  • यह मंत्र स्नान और अनुष्ठानों के दौरान पापों के नाश के लिए उपयोगी बताया गया है।
  • स्रोत: गरुड़ पुराण, अध्याय 4, श्लोक 12-18

अतिरिक्त जानकारी के लिए:

आप इन ग्रंथों के किसी भी संस्करण में संदर्भित अध्याय और श्लोक का अध्ययन कर सकते हैं।

प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top