Author name: Jay Chandra Jha

जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।

An antique typewriter displaying a typed poem in a nostalgic sepia tone.
लॊक कथा

अरुण झा की कविताँए

अरुण झा की कविताएँ जिंदगी के छोटे-बड़े लम्हों, रिश्तों की गहराइयों और इंसानी जज्बातों को छूती हैं। उनकी रचनाओं में एक ऐसी सादगी और गहराई है, जो सीधे दिल तक पहुंचती है।

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चंडीगढ़ से दरभंगा ले जा रहा था ट्रक, मुर्गी चारे के बीच छिपी थी '50 लाख की खुशी', दाने हटते ही उड़े बक्सर पुलिस के होश
समाचार, दरभंगा

चंडीगढ़ से दरभंगा ले जा रहा था ट्रक, मुर्गी चारे के बीच छिपी थी ’50 लाख की खुशी’, दाने हटते ही उड़े बक्सर पुलिस के होश

चंडीगढ़ से दरभंगा ले जा रहा था ट्रक, मुर्गी चारे के बीच छिपी थी ’50 लाख की खुशी’, दाने हटते ही उड़े बक्सर पुलिस के होश

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रिटायरमेंट से दो दिन पहले जाग उठा 'पाप', पॉकेट से निकलने लगा रंग वाला नोट, जानें
समाचार, सीतामढि

रिटायरमेंट से दो दिन पहले जाग उठा ‘पाप’, पॉकेट से निकलने लगा रंग वाला नोट, जानें

रिटायरमेंट से दो दिन पहले जाग उठा ‘पाप’, पॉकेट से निकलने लगा रंग वाला नोट, जानें

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गोनू झा कौन थे ?
लॊक कथा, कथा-सागर

गोनू झा कौन थे ?

गोनू झा को सम्पूर्ण मिथिलांचल में बीरबल के नाम से पहचाना जाता है | जिस प्रकार बीरबल और तेनाली राम अपनी चतुराई और हाजिर जबाबी के लिए प्रसिद्ध हैं उसी तरह गोनू झा भी अपनी चतुराई और वाक्पटुता के लिए समपर्ण मिथिलांचल में प्रसिद्ध हैं |

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लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ ( महाकवि विद्यापति )
लॊक गीत

लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ ( महाकवि विद्यापति )

लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
हे माँ गरदनि लग लियोऊ माँ
हम सब छी धीया-पूता आहाँ महामाया

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