कतेक दुख सुनायब हे जननी लिरिक्स Katek Dukh Sunayab He Janani Lyrics

लाल चरण अछि तोर हे जननी लिरिक्स - Laal Charan Achhi Tor He Janani

कतेक दुख सुनायब हे जननी लिरिक्स Katek Dukh Sunayab He Janani Lyrics

कतेक दुख सुनायब हे जननी
कतेक दुख सुनायब

तंत्र-मंत्र एको नहि जानल
की कहि अहाँ के सुनायब हे जननी
की कहि अहाँ के सुनायब

मूर्ख एक पुत्र अहाँ के भुतिआयल
रखबनि संग लगाय हे जननी
कतेक दुख सुनायब

सूरदास अधम जग मूरख
तारा नाम तोहार हे जननी
दुर्गा नाम तोहार
कतेक दुख सुनायब

जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।
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