“यौ दुल्हा चिन्ही लियौ” एक प्रसिद्ध मैथिली विवाह गीत अछि, जे विशेष रूप से सीता स्वयंवर आ राम विवाहक संदर्भ में गाओल जाइत अछि। एहि गीत में जानकी (सीता) केर सुकुमार रूप आ भगवान रामक सुंदरता केर वर्णन कैल गेल अछि। ई विवाह गीत मिथिलांचल में विवाहक अवसर पर विशेष रूप से गाओल जाइत अछि, जेकरा सुनिकर लोक भाव-विभोर भ’ जाइत छथि।
यौ दुल्हा चिन्ही लियौ
यौ दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी के ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी के ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी के ना
सुनै छियै आहां छी बड़का ज्ञानी
आहांक बाप के तीन जनानी
सुनै छियै आहां छी बड़का ज्ञानी
आहांक बाप के तीन जनानी
आहां बाजब कोनो
यौ आहां बाजब कोनो
बात के सोच बिचारी के ना
जे छैथ प्राण पियारी के ना
दुल्हा चिन्ही लियौ आहां
अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी के ना
यौ दुल्हा रहै छी केहन गाम
चिन्हू कनिया बैसल बाम
यौ दुल्हा रहै छी केहन गाम
चिन्हू कनिया बैसल बाम
आहां पकैड़ न लेबेन
यौ आहां पकैड़ न लेबेन
दहिन बैसल साली के
जे छैथ प्राण पियारी से ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी के ना
आमक पल्लव लिय हाथ
हम सब देब आहां के साथ
आमक पल्लव लिय हाथ
हम सब देब आहां के साथ
आहां नै चिन्हब तऽ
यौ आहां नै चिन्हब तऽ
पुत्र छी केहन नारी के
जे छैथ प्राण पियारी के ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी से ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी से ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी से ना
दुल्हा चिन्ही लियौ
आहां अप्पन दुलारी के
जे छैथ प्राण पियारी से ना
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