विद्यापती कॆ लॊकगित – विवाहक गित

विद्यापती कॆ लॊकगित - बिसहरी कॆ गित

विद्यापती कॆ लॊकगित – विवाहक गित

मचिये बैसल तोहें राजा हेमन्त ॠषि
सुनु आहाँ बचन हमार गे माई
गौरी कुमारी कते दिन रहता
ई नहिं उचित विचार गे माई
एतबा बचन जब सुलनि हेमन्त ॠषि
आबछु पण्डित गुनि देथु धीया के बियाह गे माई
एक पोथी ताकल पण्डित
दोसर पोथी तकलन्हि
तेसर पोछी तकलन्हि पुरान गे माई
ओही जंगल में जोगी एक बैसल
तिनका सँ हेतन्हि बियाह गे माई
आरही बन सँ खरही कटाओल
बृन्दावन बिंट बांस गे माई
देब पीतर मिलि मण्डप छारल
होबड लागल गौरी के बियाह गे माई
एक दिश बैसलाह नारद ब्राह्मण
दोसर दिश गौरी के ब्प गे माई
बाधक छाल पर बैसलाह महादेव
होबड लागल गौरी के बियाह गे माई
कन्यादान कम उटलाह हेमन्त ॠषि
सोती जकाँ झहरनि नोर गे माई
कियै जि खेलऊँ बेटी कियै जे पहिरलौं
कथी लेल भेलऊँ विरान गे माई
खीर जे खेलऊँ बाबा चीर पहिरलऊँ
सिन्दुरा लै भेलौं विरान गे माई अयलऊँ हे बड़का बाबा
नगरा तोहार हे अयलऊ हे सब बाबा
नगरा तोहार हे बिलह हे सब बाबी
सिनुरा पीठार हे अयलऊँ हे सब काका
नगरा तोहार हे बिलहहे सब काकी
सिनुरा पीठार हे अयलऊँ हे अप्पन बाबा
नग्र तोहार हे बिलह हे अप्पन अम्मा
सिनुर पीठार हे माथ चुमी-चुमी
दियड ने आशीष हे जीबड हे दुलहीन
लाख बरीस हे  

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भगवान जी झा मिथिला के जाने-माने समाचार संपादक हैं। TheMithila.com पर वे मिथिला की भाषा, संस्कृति और परंपराओं को समर्पित लेखों के जरिए क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास करते हैं।
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