Sitamarhi News – सीतामढ़ी में होली के जुगाड़ की भरमार! 13 दिन में 7185 लीटर विदेशी शराब जब्त, ये कैसी शराबबंदी? बिहार में शराबबंदी लागू हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। सरकार का दावा है कि शराबबंदी से अपराध में कमी आई है, लेकिन सीतामढ़ी समेत कई जिलों में शराब का अवैध धंधा लगातार फल-फूल रहा है। हाल ही में पुलिस द्वारा की गई छापेमारी से यह साफ हो गया कि अंग्रेजी और देसी शराब की तस्करी जोरों पर है।
शराबबंदी के बावजूद क्यों नहीं रुक रही तस्करी?
शराबबंदी के सख्त कानूनों के बावजूद, तस्कर नए-नए तरीकों से शराब की बिक्री कर रहे हैं। पुलिस और उत्पाद विभाग लगातार छापेमारी कर रहे हैं, लेकिन तस्करों की पकड़ अभी भी पूरी तरह नहीं हो पा रही है। कारण साफ है— अवैध शराब कारोबार में मुनाफा इतना अधिक है कि लोग इस धंधे से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
बिहार पुलिस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 1 से 24 फरवरी 2025 के बीच कुल 7,105.87 लीटर शराब जब्त की गई। इसमें से—
- अंग्रेजी शराब: 2247.47 लीटर
- देशी शराब: 4858.4 लीटर
कब और कितनी शराब पकड़ी गई?
- 1 फरवरी: 168 लीटर देसी, 44 लीटर विदेशी
- 5 फरवरी: 95.70 लीटर देसी
- 8 फरवरी: 379.5 लीटर देसी, 175.14 लीटर विदेशी
- 11 फरवरी: 1093.8 लीटर देसी, 1358 लीटर विदेशी
- 12 फरवरी: 702.6 लीटर देसी
तस्करों के नए हथकंडे! बोलेरो में भरकर ले जा रहे थे “होली का जुगाड़”
शराब तस्करों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि वे चोरी-छिपे नए-नए तरीके अपनाकर तस्करी कर रहे हैं। हाल ही में पुलिस ने एक बोलेरो को पकड़ा, जिसमें शराब की बड़ी खेप भरी थी। तस्कर इसे होली से पहले बाजार में खपाने की फिराक में थे।
कैसे हो रही है तस्करी?
- बॉर्डर इलाकों से तस्करी: नेपाल और झारखंड से बड़ी मात्रा में शराब बिहार में लाई जा रही है।
- दवा और खाने-पीने की चीजों के बीच छिपाकर: हाल ही में एक ट्रक में खाद्य सामग्री के बीच शराब की खेप पकड़ी गई।
- ऑटो और बाइक के जरिए: छोटे वाहनों से गांव-गांव में शराब सप्लाई की जा रही है।
क्या शराबबंदी सिर्फ नाम की है? पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में
शराबबंदी को लागू करने के लिए बिहार में लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जब पुलिस खुद मान रही है कि 13 दिनों में ही 7000 लीटर से ज्यादा शराब जब्त हो चुकी है, तो यह साफ हो जाता है कि शराबबंदी का कानून कागजों पर तो मजबूत है, लेकिन हकीकत में इसका पालन करवाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि—
- क्या सरकार इस तस्करी को रोकने में पूरी तरह विफल हो चुकी है?
- या फिर सिस्टम में कहीं कोई बड़ी चूक हो रही है?
- क्या शराबबंदी की आड़ में कोई बड़ा खेल चल रहा है?
शराबबंदी कानून को बिहार में लागू हुए 8 साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार इसे पूरी तरह से सफल नहीं बना पाई है। क्या आने वाले समय में यह कानून और सख्त होगा, या फिर सरकार को इसे लेकर अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी?