जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर लिरिक्स – विद्यापती कॆ लॊकगित 

जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर लिरिक्स - विद्यापती कॆ लॊकगित 

जगदम्ब अहीं अबिलम्ब हमर लिरिक्स – विद्यापती कॆ लॊकगित 

जगदम्ब अहिं अवलम्ब हमर
हे माय अहाँ बिनु आस केकर
हे माय अहाँ बिनु आस केकर
जगदम्ब अहिं अवलम्ब हमर
जँ माय अहाँ दुःख नै सुनबय – 2
त जाय कहु ककरा कहबय – 2
करू माफ़ जननि अपराध हमर
हे माय अहाँ बिनु आस केकर
जगदम्ब अहिं अवलम्ब हमर
हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
मां भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहिं के शरण में आयल छी 
हे माँ अहिं के शरण में आयल छी
देखू नाव पड़ल अछि बीच भंवर
हे माय अहाँ बिनु आस केकर 
जगदम्ब अहिं अवलम्ब हमर
काली लक्ष्मी कल्याणी छी – 2
तारा अम्बे ब्रह्माणी छी – 2
अछि पुत्र प्रदीप बनल टुगर
हे माय अहाँ बिनु आस केकर – 2
जगदम्ब अहिं अवलम्ब हमर

प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।
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