IIT वाले बाबा कौन हैं – जानें सबकुछ – उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर 12 साल पर लगने वाला महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है। इसमें न सिर्फ देश के कोने-कोने से, बल्कि दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इस साल 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ मेले में भी श्रद्धालुओं का हुजूम देखा गया। खास बात यह रही कि आईआईटी मुंबई के एयरोस्पेस इंजीनियर अभय सिंह भी इसमें शामिल हुए। अभय ने अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों को पीछे छोड़ते हुए आध्यात्म की राह चुनी है, जो लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।
क्या है Abhay Singh की असली कहानी?
आईआईटी बॉम्बे से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने वाले और अब साधु बनने का दावा करने वाले अभय सिंह ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में अपनी जिंदगी के कई पहलुओं को साझा किया। उन्होंने बताया कि बचपन में माता-पिता के झगड़ों ने उनके मन में गहरे डर पैदा कर दिए थे। एक समय उनकी गर्लफ्रेंड भी थी, लेकिन शादी का विचार कभी मन में नहीं आया।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका मन स्थिर नहीं रहा। कभी नौकरी की, कभी पढ़ाने लगे, कभी फिल्म बनाने की कोशिश की, तो कभी विदेश का रुख किया। मगर इन सभी अनुभवों के बाद भी उन्हें भीतर से सुकून नहीं मिला। आखिरकार, उन्होंने सब कुछ छोड़कर आध्यात्म का रास्ता चुन लिया।
हरियाणा के मूल निवासी अभय अब खुद को किसी विशेष पहचान से नहीं जोड़ते। उनका कहना है कि वो जीवन के अनसुलझे सवालों के जवाब खोजने आध्यात्मिक यात्रा पर निकले हैं। लोग उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाते हैं—कभी अभय, कभी बाबा, कभी माधव, तो कभी राघव।
अभय सिंह का कहना है कि उनका आगे का सफर कैसा होगा, यह तय करना उनके हाथ में नहीं है। “यह महादेव की इच्छा पर निर्भर करता है,” वे कहते हैं।
क्या हुआ था IIT बाबा अभय सिंह के बचपन में
अभय सिंह की कहानी बेहद अलग और अनोखी है। एक ऐसा युवा, जिसने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग जैसी प्रतिष्ठित डिग्री हासिल की, विदेशों में घूमा, और कई क्षेत्रों में हाथ आजमाया, लेकिन अंत में जीवन के सवालों के जवाब तलाशने के लिए आध्यात्मिकता की राह चुन ली।
बचपन से ही उनके जीवन में कई मुश्किलें रहीं। अभय सिंह ने बताया कि उनके माता-पिता के बीच लगातार होते झगड़ों ने उनके मन में एक स्थायी डर और असहजता पैदा कर दी थी। उनका कहना है, “जब घर में झगड़े होते हैं, तो एक बच्चा समझ ही नहीं पाता कि ये सब क्यों हो रहा है। उस समय आप असहाय महसूस करते हैं, क्योंकि न तो आपकी समझ विकसित होती है और न ही आपको कोई सहारा मिलता है।” बचपन के ये अनुभव उनके व्यक्तित्व पर गहरा असर छोड़ गए और जीवन के प्रति उनका नजरिया पूरी तरह बदल दिया।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अभय का मन भटकता रहा। उन्होंने नौकरी की, पढ़ाया, फिल्में बनाने की कोशिश की, और यहां तक कि विदेश भी गए। लेकिन इनमें से कुछ भी उनके अंदर के खालीपन को नहीं भर सका। अंत में, जब हर चीज से उनका मन ऊब गया, तो उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागने और आध्यात्मिक मार्ग अपनाने का निर्णय लिया।
उनका कहना है कि अब वे किसी पहचान से बंधे नहीं हैं। लोग उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाते हैं—अभय, बाबा, माधव या राघव। लेकिन वे मानते हैं कि उनका जीवन अब महादेव की इच्छा पर निर्भर करता है। “मैं हमेशा इसी भेष में रहूंगा या कुछ और करूंगा, ये महादेव तय करेंगे,” वे कहते हैं।
अभय सिंह की यह यात्रा हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करती है। क्या वाकई घरेलू झगड़ों और पारिवारिक कलेश का बच्चों पर इतना गंभीर प्रभाव पड़ सकता है? उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि बचपन का वातावरण और पारिवारिक माहौल व्यक्ति के पूरे जीवन को बदल सकता है। उनकी कहानी हमें अपने घर के माहौल को सुधारने और बच्चों को सुरक्षित, स्थिर और प्यारभरा वातावरण देने की सीख देती है।
पिता का विनाश निश्चित कर आया हूं.
आईआईटीयन बाबा ने अपने मां-बाप को शैतान तक कह दिया। साथ ही कहा कि अपने पिता का विनाश निश्चित कर आया हूं। आईआईटीयन बाबा अभय सिंह से परिवार और घर जाने के संबंध में पूछा गया। उन्होंने कहा कि उनका (पिता कर्ण सिंह) का विनाश निश्चित करके आया हूं। पिता के लिए टाइम लाइन बनाकर रखी है, उनके कर्म ही बहुत खराब है। रिश्ते के चक्कर में मेन्युप्लेट कर रहे थे। भगवान राम को भी कर्म निभाना पड़ा था। पिता कर्ण सिंह के घर बुलाने पर कहा कि कौन से घर बुला रहे सब जानता हूं।
महाकुंभ से गायब हो गए IIT बॉम्बे वाले बाबा अभय सिंह
आश्रम के साधुओं ने कहा कि अभय का दिमागी संतुलन अचानक बिगड़ गया. वह यहां नशा लेने लगे. नशे में इंटरव्यू देने लगे और इसे सही ठहराने लगे. जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी के पास भी उन्हें ले जाया गया. वहां, ले जाने वाले साधु बताते हैं कि उनकी मानसिक स्थिति देखकर जूना अखाड़े ने फैसला किया कि इन्हें आश्रम छोड़ देना चाहिए और देर रात को अभय सिंह ने आश्रम छोड़ दिया.
देशभर में छाए हैं अभय सिंह
महाकुंभ 2025 में अपने इंटरव्यू और प्राेफाइल की वजह से सुर्खियों में आए अभय सिंह हरियाणा के झज्जर के निवासी हैं। परिवार से मोह भंग होने के बाद संन्यासी बने आईआईटी बाबा अभय सिंह की फैमिली की प्रतिक्रिया सामने आई है। परिवार के लोग चाहते हैं कि अभय सिंह लौट आएं। उनके पिता ने बेटे को लेकर एब बड़ा खुलासा किया है। पिता ने कहा है कि वह छह महीने पहले तक अपने बेटे के संपर्क में थे, जिसके बाद अभय सिंह ने उन्हें ब्लॉक कर दिया और सभी तरह के संपर्क खत्म कर दिए। पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर अभय सिंह प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले आईआईटी बाबा के तौर पर पूरे देश में छाए हुए हैं। वह इन दिनों इंटरनेट की दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चित पात्र हैं।
पिता ने बताई मां की इच्छा
अभय सिंह के पिता करण ग्रेवाल ने कहा था कि वह चाहते हैं कि वह घर लौट आए। उन्होंने हमारा परिवार चाहता है कि अभय घर लौट आएं। उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन इतना कुछ हासिल करने के बाद, उनके लिए वापस आना आसान नहीं है। पिता ने कहा कि वह हमेशा से ही आध्यात्मिकता में रुचि रखता था। ग्रेवाल ने कहा कि उसकी मां ने उसे वापस आने और परिवार की देखभाल करने के लिए कहा, लेकिन उसने जवाब दिया कि संन्यासी बनने के बाद, यह अब संभव नहीं है। पिता ने आखिर में कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है। आखिरी बार मनाने के सवाल पर कहा कि मैं कोशिश करूंगा। ग्रेवाल ने कहा मुझे लगता है कि इस स्तर पर पहुंचने के बाद, वह हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। अभय सिंह के पता झज्जर में वकील हैं।