मिथिला पंचांग – द्विरागमनक मुहूर्त वर्ष 2024 – 25 मे

द्विरागमनक मुहूर्त वर्ष 2024 - 25 मे

मिथिला पंचांग – द्विरागमनक मुहूर्त वर्ष 2024 – 25 मे – मिथिला संस्कृति एवं परंपरा में द्विरागमन (गौना) विवाह उपरांत वधू द्वारा प्रथम बार ससुराल आगमन के विशेष मुहूर्त के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण मानल जाई छै। ई अवसर केवल सामाजिक परंपरा मात्र नै, बल्कि नवजीवनक शुभारंभ एवं गृहस्थ जीवनक मंगल कामना सँ जुड़ल रहैत अछि।

मिथिला पंचांग अनुसार, द्विरागमन हेतु शुभ मुहूर्त निर्धारण करबाक परंपरा प्राचीन काल सँ चलि आबि रहल अछि। चंद्रमा, नक्षत्र, तिथि आ ग्रहस्थिति के आधार पर योग्य समय चयन कैल जाई छै, जाहि सँ दाम्पत्य जीवन सुखद, समृद्ध एवं मंगलमय बनय।

वर्ष 2024-25 में द्विरागमनक शुभ तिथि एवं समय जानबाक लेल नीचाँ देल सूची केर आधार पर उचित मुहूर्त चयन कय सकैत छी। पंचांग अनुसार शुभ समय केँ ध्यान में राखि, द्विरागमन विधि-विधान संग संपन्न करब हितकर मानल जाई छै।

ध्यान देब योग्य बातसभ:

  • शुभ मुहूर्त में गृहस्थ जीवनक सुख-शांति एवं समृद्धि हेतु आवश्यक विधि-विधान केर पालन करू।
  • परिवारक वरिष्ठ सदस्य एवं विद्वान पंडित सँ परामर्श ल’ कए अंतिम निर्णय लेब उचित होयत।
  • नवविवाहित जोड़ा केर मंगलमय भविष्य हेतु परंपरागत रीति-रिवाज केर पूर्ण सम्मान राखू।
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नीचे वर्ष 2024-25 के द्विरागमन मुहूर्तक सूची प्रस्तुत अछि।

मिथिला पंचांग – द्विरागमनक मुहूर्त वर्ष 2024 – 25 मे

  • नवम्बर 18, 2024
  • नवम्बर 20, 2024
  • दिसम्बर 05, 2024
  • दिसम्बर 06, 2024
  • दिसम्बर 08, 2024
  • दिसम्बर 11, 2024
  • दिसम्बर 12, 2024
  • फरवरी 16, 2025
  • फरवरी 17, 2025
  • मार्च 02, 2025
  • मार्च 03, 2025
  • मार्च 05, 2025
  • मार्च 06, 2025
  • मार्च 07, 2025
  • मार्च 09, 2025
  • मार्च 10, 2025
  • अप्रील 18, 2025
  • मई 01, 2025
  • मई 04, 2025
  • मई 07, 2025
  • मई 08, 2025
  • मई 11, 2025
  • मई 12, 2025

यदि आपके पास कोई और प्रश्न हैं, तो कृपया किसी योग्य पंडित से परामर्श (shiv.chandra@themithila.com) करें या मिथिला पंचांग विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त करें।

मिथिला पंचांग – द्विरागमन मुहूर्त (2024-25) | अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

द्विरागमन क्या है?

द्विरागमन (गौना) विवाह के बाद वधू का पहली बार ससुराल आने का शुभ अवसर होता है। यह परंपरा मिथिला सहित कई भारतीय संस्कृतियों में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

द्विरागमन मुहूर्त का महत्व क्या है?

शुभ मुहूर्त में द्विरागमन करने से दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। पंचांग के अनुसार उचित तिथि, नक्षत्र और ग्रह स्थिति को देखकर सही समय तय किया जाता है।

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द्विरागमन मुहूर्त कैसे तय किया जाता है?

मिथिला पंचांग में ग्रह-नक्षत्र, तिथि, योग और वार के आधार पर शुभ मुहूर्त निर्धारित किया जाता है। योग्य पंडित से परामर्श लेकर सही समय चुना जाता है।

क्या किसी भी दिन द्विरागमन किया जा सकता है?

नहीं! द्विरागमन के लिए विशेष शुभ तिथि और नक्षत्र आवश्यक होते हैं। शुभ समय के बिना द्विरागमन करने से जीवन में बाधाएँ आ सकती हैं।

अगर किसी कारणवश शुभ मुहूर्त पर द्विरागमन न हो सके, तो क्या करें?

यदि किसी कारणवश निर्धारित शुभ मुहूर्त पर द्विरागमन संभव न हो, तो योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर कुछ विशेष उपाय और पूजन विधि से समाधान निकाला जा सकता है।

द्विरागमन के दिन कौन-कौन से रीति-रिवाज करने चाहिए?

गृह प्रवेश के समय कलश स्थापना।
वधू द्वारा पहली बार ससुराल में दीप प्रज्वलन।
वर-वधू को परिवार के बड़ों से आशीर्वाद ग्रहण करना।
पारंपरिक रीति के अनुसार पूजन और मंगलाचार करना।

द्विरागमन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

शुभ मुहूर्त में ही प्रवेश करें।
परिवार और पंडित जी से उचित परामर्श लेकर सभी रीति-रिवाजों का पालन करें।
गृह प्रवेश, मंगलाचार और अन्य परंपराओं को विधिपूर्वक संपन्न करें।

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क्या द्विरागमन के समय विशेष वस्त्र पहनने की आवश्यकता होती है?

हां, परंपरा के अनुसार वधू लाल, गुलाबी, हरा या अन्य शुभ रंग के वस्त्र पहनती है, जो मंगल और सौभाग्य का प्रतीक होता है। वर भी पारंपरिक परिधान धारण करता है।

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।
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