मिथिला पंचांग – शुभ मुण्डन केर तिथि 2024-25 – मुण्डन संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इसे चूड़ाकर्म संस्कार भी कहा जाता है। इस संस्कार के अंतर्गत शिशु के जन्म के बाद पहली बार उसके बाल उतारे जाते हैं, जिससे शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मिथिला संस्कृति में मुण्डन संस्कार को अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे पंचांग के अनुसार विशेष तिथि एवं मुहूर्त में किया जाता है।
Table Of Contents
- मिथिला पंचांग – शुभ मुण्डन केर तिथि 2024-25
- मुण्डन संस्कार का महत्व
- मिथिला पंचांग – शुभ मुण्डन केर तिथि 2024-25 -FAQ
- मुण्डन संस्कार कब करना चाहिए?
- क्या मुण्डन के लिए किसी विशेष तिथि का पालन करना आवश्यक है?
- क्या मुण्डन संस्कार किसी भी मास में किया जा सकता है?
- यदि किसी कारणवश निर्धारित तिथि पर मुण्डन न हो सके तो क्या करें?
- मुण्डन संस्कार के बाद क्या करना चाहिए?
मिथिला पंचांग – शुभ मुण्डन केर तिथि 2024-25
मास | शुभ मुण्डन तिथि |
---|---|
नवंबर 2024 | 18, 20 |
दिसंबर 2024 | 02, 05, 06, 11 |
जनवरी 2025 | 31 |
फरवरी 2025 | 03, 07, 10, 17 |
मार्च 2025 | 06, 10 |
अप्रैल 2025 | 17, 30 |
मई 2025 | 08, 09, 28 |
जून 2025 | 05, 06, 26, 27 |
जुलाई 2025 | 02, 04 |
टिप्पणी:
- शुभ मुहूर्त को परिवार की कुल परंपराओं और शिशु की कुंडली के अनुसार पंडित जी से परामर्श कर निर्धारित करना चाहिए।
- कुछ तिथियों में स्थान विशेष के अनुसार मुहूर्त में भिन्नता हो सकती है।
मुण्डन संस्कार का महत्व
- आध्यात्मिक शुद्धि: मुण्डन संस्कार को आत्मशुद्धि और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने का माध्यम माना जाता है।
- स्वास्थ्य लाभ: यह माना जाता है कि जन्म के समय के बाल में संचित अशुद्धियाँ होती हैं, जिनका त्याग करने से शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास अच्छा होता है।
- संस्कारिक परंपरा: हिंदू धर्म में यह संस्कार व्यक्ति के जीवन में शुभता और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- ग्रह दोष निवारण: मुण्डन से कुछ ज्योतिषीय दोष भी शांत हो जाते हैं, जिससे शिशु का भविष्य सुखद एवं सफल बनता है।
- सौंदर्य एवं बालों की वृद्धि: वैज्ञानिक रूप से भी यह सिद्ध किया गया है कि मुण्डन से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बाल अधिक घने व मजबूत उगते हैं।
मिथिला पंचांग – शुभ मुण्डन केर तिथि 2024-25 -FAQ
मुण्डन संस्कार कब करना चाहिए?
मुण्डन संस्कार आमतौर पर शिशु के पहले, तीसरे या पांचवें वर्ष में किया जाता है। कुछ परिवारों में यह सातवें या नौवें वर्ष में भी किया जाता है।
क्या मुण्डन के लिए किसी विशेष तिथि का पालन करना आवश्यक है?
हां, मुण्डन संस्कार के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। मिथिला पंचांग में बताए गए मुहूर्त का पालन करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
क्या मुण्डन संस्कार किसी भी मास में किया जा सकता है?
नहीं! विशेष रूप से चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और मार्गशीर्ष महीने को मुण्डन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। कुछ महीनों में मुण्डन को निषेध भी किया गया है, जैसे भाद्रपद और आश्विन।
यदि किसी कारणवश निर्धारित तिथि पर मुण्डन न हो सके तो क्या करें?
ऐसी स्थिति में किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर वैकल्पिक शुभ तिथि तय की जा सकती है।
मुण्डन संस्कार के बाद क्या करना चाहिए?
तीर्थ स्थान पर जलाभिषेक करें।
दान-दक्षिणा दें, विशेषकर नाई को दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।
परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
दान-दक्षिणा दें, विशेषकर नाई को दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।
परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।
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