दरभंगा में तालाबों को गंदा करना रेलवे को पड़ा महंगा, अब देना होगा 1.61 करोड़ का जुर्माना

दरभंगा में तालाबों को गंदा करना रेलवे को पड़ा महंगा, अब देना होगा 1.61 करोड़ का जुर्माना

प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी सफाई के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दरभंगा शहर के ऐतिहासिक हराही तालाब में गंदे पानी के बहाव को लेकर समस्तीपुर रेल मंडल पर 1 करोड़ 61 लाख 12 हजार 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना तब लगाया गया जब तालाब बचाओ अभियान ने इस मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के कोलकाता स्थित पूर्वी क्षेत्र कार्यालय में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि दरभंगा जंक्शन से निकलने वाला गंदा पानी हराही तालाब में बहाया जा रहा है, जिससे जल स्रोत की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, बोर्ड ने समस्तीपुर रेल मंडल पर जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है और इस राशि को 15 दिनों के भीतर जमा करने का निर्देश दिया है।

प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रदूषण का बढ़ता खतरा
प्राकृतिक जल स्रोतों का प्रदूषण किसी भी समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है। बिहार के दरभंगा में स्थित हराही तालाब, दिग्घी तालाब और गंगासागर तालाब का जल प्रदूषण और अतिक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा था। खासतौर पर रेलवे स्टेशन के आसपास का गंदा पानी इन तालाबों में बहाया जा रहा था, जिससे जल की गुणवत्ता में गिरावट आई थी। दरभंगा जंक्शन के शौचालयों, भोजनालयों, प्रतीक्षालयों, और अन्य स्थानों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे तौर पर इन जल स्रोतों में डाल दिया जा रहा था, जिससे न केवल जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी खतरा बन चुका था। इसी कारण, तालाब बचाओ अभियान ने इस मुद्दे को लेकर कानूनी कार्रवाई की शुरुआत की और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से इस पर सुनवाई करने की मांग की।

और पढें  How to Book Appointment in Aadhaar Center 2025 | Complete Step-by-Step Guide

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और जांच कमेटी की कार्रवाई
वर्ष 2022 में दायर की गई जनहित याचिका में तालाब बचाओ अभियान ने इन तालाबों को प्रदूषण और अतिक्रमण से मुक्त कर उनका सुंदरीकरण करने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान, ट्रिब्यूनल ने एक जांच कमेटी का गठन किया, जिसमें दरभंगा के जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम और पर्यावरण विभाग के आठ प्रतिनिधि शामिल थे। इस कमेटी ने 21 जनवरी 2023 को इन तालाबों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि रेलवे स्टेशन से निकलने वाला गंदा पानी सीधे इन तालाबों में डाला जा रहा है, जिससे तालाबों की जल गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। इसके अलावा, नगर निगम और निजी होटलों से भी गंदा पानी इन तालाबों में बहाया जाता था, जिससे प्रदूषण और भी बढ़ रहा था।

और पढें  बंद फ्लैट में तीन लड़कियां, पति-पत्नी गए थे कुंभ, पुलिस ने खोला दरवाजा तो हुआ होटल वाला खुलासा

जल और पर्यावरण की क्षति का आंकलन
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल और पर्यावरण की क्षति का आंकलन किया और 1.61 करोड़ रुपये के जुर्माने की राशि निर्धारित की। यह राशि रेलवे द्वारा किए गए प्रदूषण के कारण उत्पन्न जल और पर्यावरणीय नुकसान के हिसाब से तय की गई थी। इस जुर्माने के साथ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रेलवे से यह भी कहा है कि वे जंक्शन से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करें। इस कदम से गंदे पानी की सफाई होगी और जल स्रोतों की रक्षा की जा सकेगी।

रेलवे को कानूनी नोटिस और कार्यवाही की दिशा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समस्तीपुर रेल मंडल को कानूनी नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के अंदर जुर्माना राशि जमा करने का आदेश दिया है। यदि रेलवे द्वारा इस राशि का भुगतान समय पर नहीं किया जाता है, तो आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस फैसले का स्वागत तालाब बचाओ अभियान के संयोजक नारायणजी चौधरी ने किया है और उन्होंने इसे एक सकारात्मक कदम माना है। इस निर्णय से न केवल दरभंगा के तालाबों को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह अन्य क्षेत्रों में भी जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करेगा।

और पढें  10वीं की परीक्षा में वीडियोग्राफर ही कर रहे थे खेल, 'कैमरा एंगल' से हुआ शक तो खुला मोबाइल वाला राज; जानें

समाप्ति और भविष्य की दिशा
यह मामला जल स्रोतों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। प्रदूषण को नियंत्रित करने और जल स्रोतों को बचाने के लिए जिम्मेदार संस्थाओं पर कड़ी निगरानी और कानूनी दबाव जरूरी है। इससे भविष्य में अन्य शहरों और क्षेत्रों में भी जल प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। इस फैसले से यह संदेश जाता है कि अगर प्राकृतिक जल स्रोतों को प्रदूषित किया जाता है, तो इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और जिम्मेदार संस्थाओं को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

भगवान जी झा मिथिला के जाने-माने समाचार संपादक हैं। TheMithila.com पर वे मिथिला की भाषा, संस्कृति और परंपराओं को समर्पित लेखों के जरिए क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास करते हैं।
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Scroll to Top