मिथिला पंचांग -वर्ष 2025 के उपनयन मुहूर्त
मिथिला पंचांग -वर्ष 2025 के उपनयन मुहूर्त
उपनयन संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण विधि है, जिसे “जनेऊ संस्कार” भी कहा जाता है। यह संस्कार व्यक्ति को वैदिक जीवन और अध्ययन के लिए पात्र बनाता है। 2025 में उपनयन संस्कार के लिए निम्नलिखित शुभ तिथियां उपलब्ध हैं:
माह | शुभ दिन |
फरवरी 2025 | 3, 7 |
मार्च 2025 | 2, 9 (क्षे० वै०), 10 |
अप्रैल 2025 | 7, 8 (छ०) |
मई 2025 | 2, 7, 8, 29 |
जून 2025 | 5, 6 |
टिप्पणी:
- (क्षे० वै०) का अर्थ है कि यह मुहूर्त क्षेत्र विशेष एवं वैदिक नियमों के आधार पर भिन्न हो सकता है।
- (छ०) का तात्पर्य है कि यह विशेष परिस्थिति में स्वीकार्य हो सकता है।
उपनयन संस्कार का महत्व
उपनयन संस्कार बालक को आध्यात्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के लिए तैयार करता है। इस संस्कार के दौरान गुरुमंत्र और गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है। यह व्यक्ति के जीवन में आत्मशुद्धि, संयम और अनुशासन की नींव रखता है।
विशेष सुझाव:
- शुभ मुहूर्त का चयन करते समय बालक की जन्म कुंडली और ग्रह स्थिति का विश्लेषण करना आवश्यक है।
- योग्य और अनुभवी पुरोहित से परामर्श लें।
- संस्कार के दौरान उचित विधि-विधान का पालन करें।
इन शुभ तिथियों को ध्यान में रखते हुए आप उपनयन संस्कार की योजना बना सकते हैं। यह संस्कार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि परिवार और समाज के प्रति व्यक्ति की भूमिका को भी सुदृढ़ करता है।
मिथिला पंचांग -वर्ष 2025 के उपनयन मुहूर्त – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
उपनयन संस्कार कब किया जाता है?
उपनयन संस्कार के लिए शुभ तिथि कैसे चुनी जाती है?
क्या उपनयन संस्कार सिर्फ ब्राह्मणों के लिए होता है?
उपनयन संस्कार के दौरान क्या क्रियाएं संपन्न होती हैं?
जनेऊ (यज्ञोपवीत) धारण कराया जाता है।
धार्मिक अनुष्ठान, हवन, और संकल्प लिया जाता है।
गुरु से शिक्षा प्राप्त करने की विधिवत शुरुआत होती है।
क्या उपनयन संस्कार को विवाह से पहले अनिवार्य रूप से करना चाहिए?
उपनयन संस्कार के बाद किन नियमों का पालन करना चाहिए?
नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य और सात्विक जीवन का पालन करना चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए।
निष्कर्ष – मिथिला पंचांग -वर्ष 2025 के उपनयन मुहूर्त
उपनयन संस्कार न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करता है। मिथिला पंचांग में दिए गए शुभ मुहूर्त के अनुसार, वर्ष 2025 में आप इस पवित्र संस्कार को विधिपूर्वक संपन्न कर सकते हैं। उचित मार्गदर्शन और सही तिथि का चयन करके यह संस्कार सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है।
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