बिहार के दरभंगा स्थित जगदीश नारायण ब्रह्मचर्य आश्रम, लगमा में 1 मार्च से 16 मार्च तक आयोजित लक्ष चंडी और अति महाविष्णु महायज्ञ विवादों में घिर गया है। आयोजन के समापन के बाद, देशभर से आए 2100 पंडितों ने दक्षिणा न मिलने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। उन्होंने दरभंगा-मनीगाछी मुख्य मार्ग को जाम कर दिया और आश्रम के महंत बौआ सरकार के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
25 करोड़ के भव्य यज्ञ में पंडितों से ठगी का आरोप
बताया जा रहा है कि इस यज्ञ को बिहार का सबसे बड़ा यज्ञ कहा जा रहा था, जिस पर करीब 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आयोजन समिति और पंडितों के बीच हुए समझौते के अनुसार, प्रत्येक पंडित को न्यूनतम ₹15,000 का मानदेय देने की बात तय थी। इसके अलावा, पंडितों को भोजन, आवास, और अन्य सुविधाएं देने का भी वादा किया गया था। लेकिन यज्ञ के समापन के बाद कई पंडितों को उनकी दक्षिणा नहीं मिली, जिससे वे आक्रोशित हो गए।
रात 2 बजे से सड़क पर हंगामा, महंत पर धोखाधड़ी का आरोप
यज्ञ समाप्त होने के बाद रात करीब 2 बजे पंडितों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने मुख्य सड़क को जाम कर दिया और आश्रम के महंत के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) से आए पंडित अमित मिश्रा ने बेनीपुर अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) को फोन कर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि आश्रम प्रशासन और आयोजन समिति ने उनकी मेहनत की कमाई हड़प ली है और बिना पैसा दिए गायब हो गए हैं।
महंत का बचाव: “हमने दक्षिणा दे दी, वीडियो से जांच कर रहे हैं”
आश्रम के महंत बौआ सरकार ने इस पूरे विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि सभी पंडितों को दक्षिणा दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि आयोजन समिति इस मुद्दे की जांच कर रही है और इसके लिए यज्ञ के दौरान बनाए गए वीडियो को खंगाला जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से भी बातचीत करने की बात कही।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल, यज्ञ आयोजन में पारदर्शिता की मांग
इस मामले में जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। दावा किया जा रहा है कि प्रशासन की देखरेख में ही यज्ञ संपन्न हुआ, लेकिन अब जब विवाद खड़ा हुआ है, तो अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे हैं।
भविष्य में और बढ़ सकता है विवाद
फिलहाल, पंडितों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है और वे अभी भी अपनी दक्षिणा की मांग पर अड़े हुए हैं। अगर इस मामले का समाधान जल्द नहीं निकला, तो यह विवाद और गहरा सकता है। बिहार जैसे राज्य में जहां धार्मिक आयोजन बड़े स्तर पर होते हैं, इस तरह की घटनाएं भविष्य के आयोजनों पर भी असर डाल सकती हैं।