गोनू झा कौन थे ?
गोनू झा को सम्पूर्ण मिथिलांचल में बीरबल के नाम से पहचाना जाता है | जिस प्रकार बीरबल और तेनाली राम अपनी चतुराई और हाजिर जबाबी के लिए प्रसिद्ध हैं उसी तरह गोनू झा भी अपनी चतुराई और वाक्पटुता के लिए समपर्ण मिथिलांचल में प्रसिद्ध हैं |
गोनू झा को सम्पूर्ण मिथिलांचल में बीरबल के नाम से पहचाना जाता है | जिस प्रकार बीरबल और तेनाली राम अपनी चतुराई और हाजिर जबाबी के लिए प्रसिद्ध हैं उसी तरह गोनू झा भी अपनी चतुराई और वाक्पटुता के लिए समपर्ण मिथिलांचल में प्रसिद्ध हैं |
मिथिला के लोक जीवन की एक विडंबना है कि यहाँ लोकनृत्य का लगभग अभाव-सा है | विवाह आदि के अवसर पर भी मिथिला में लोक-नृत्य का कोई चलन नहीं है और यह बात हर जाति,हर वर्ग पर लागू होती है |
राजा सल्हेश को मधुबनी जनपदों में सर्वजातीय श्रद्धा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त है| इनके शौर्य एवं राज्य प्रशासन की इनकी अदभुत क्षमता से पूर्ण इनकी गाथाएं , उपन्यास, नाटक, रेडियो नाटक, टेलीफिल्म , लोकचित्रों या नृत्य आदि साहित्यिक सांस्कृतिक माध्यम से अधिक स्पंदित नहीं हो पाई है |
मिथिला की कुछ स्त्रियों का प्राचीन ग्रंथों और इतिहास की पुस्तकों में अक्सर नाम उल्लेखित रहता है | इन स्त्रियों ने अपने ज्ञान से न केवल मिथिला अपितु संपूर्ण भारतवर्ष का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया है | आईये जानतें हैं की ये कौन थीं ?
मिथिला की पांच विख्यात महिलाये जिनका पुस्तकों में होता हैं उल्लेख Read Post »
कवि विद्यापति की थी दो पत्नियाँ : जीवन परिचय और पृष्टभूमी
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गोनू झाक बुद्धिमत्ताक लोहा सभ कियो मानैत छल । अपन बुद्धिमत्तेक बल पर ओ मिथिलाक राजदरवार मे आदर पबैत छलाह
गोनू झा के ग्रह-दोष निवारण – मैथिली कहानी -गोनू झा राजदरबार मे नियुक्त भऽ गेल छलैथ, सबटा गाँव गोनू झा पर गर्व कऽ रहल छल। गोनू गामक नाम जे रोशन केने छलैथ।
गॊनू झा पहुंचला नर्क भाग 1 – एक बार की बात है, मैं जय चन्द्र झा और गोनू झा दोनों
छोटॆ भाई भोनू झा को भी उम्मीद थी कि अगर गोनू बाबू अधिकारी बन गए, तॊ गाँव के झंझट और बँटवारे की समस्याएँ अपने आप खत्म हो जाएग़ी एवं भैंस तथा कम्बल दोनो मेरे हो जाएंगे ।