Author name: Jay Chandra Jha

जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।

रिटायरमेंट से दो दिन पहले जाग उठा 'पाप', पॉकेट से निकलने लगा रंग वाला नोट, जानें
समाचार, सीतामढि

रिटायरमेंट से दो दिन पहले जाग उठा ‘पाप’, पॉकेट से निकलने लगा रंग वाला नोट, जानें

रिटायरमेंट से दो दिन पहले जाग उठा ‘पाप’, पॉकेट से निकलने लगा रंग वाला नोट, जानें

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गोनू झा कौन थे ?
कथा-सागर, लॊक कथा

गोनू झा कौन थे ?

गोनू झा को सम्पूर्ण मिथिलांचल में बीरबल के नाम से पहचाना जाता है | जिस प्रकार बीरबल और तेनाली राम अपनी चतुराई और हाजिर जबाबी के लिए प्रसिद्ध हैं उसी तरह गोनू झा भी अपनी चतुराई और वाक्पटुता के लिए समपर्ण मिथिलांचल में प्रसिद्ध हैं |

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लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ ( महाकवि विद्यापति )
लॊक गीत

लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ ( महाकवि विद्यापति )

लाले-लाले आहुल के माला बनेलऊँ
गरदनि लगा लियोऊ माँ
हे माँ गरदनि लग लियोऊ माँ
हम सब छी धीया-पूता आहाँ महामाया

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डालना - मिथिला के तरकारी
भानस घर

डालना – मिथिला के तरकारी

डालना सब्जी को मिथिला का तरकारी कहा गया है । इसका उपयोग मिथिला में लोग अपने घरों के अलावा सभी प्रमुख भोज-भात या कार्यक्रम में करते हैं ।

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