महाराष्ट्र साइबर सेल का सीतामढ़ी दौरा, खुलासा हुआ ऐसा मामला कि सभी हो गए हैरान!

महाराष्ट्र साइबर सेल का सीतामढ़ी दौरा, खुलासा हुआ ऐसा मामला कि सभी हो गए हैरान!

सीतामढ़ी, बिहार: बिहार के सीतामढ़ी जिले में एक बड़ा साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जहां महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताकर 44 लाख रुपए की ठगी की थी। यह घटना जिले के परिहार थाना क्षेत्र के महादेव पट्टी गांव में घटित हुई। इस पूरी घटना में आरोपी सलीम अंसारी ने अपने एक साथी के साथ मिलकर इस बड़ी साइबर धोखाधड़ी को अंजाम दिया।

क्या हुआ था?
महाराष्ट्र के पुणे शहर में रहने वाले एक कंप्यूटर इंजीनियर सोमनाथ चटर्जी के साथ यह ठगी हुई। सलीम अंसारी और उसके सहयोगी ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताकर उन्हें फोन किया। उन्होंने वीडियो कॉल करके उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने की धमकी दी और यह बताया कि उनके खिलाफ सबूत मिले हैं। आरोपियों ने पीड़ित को यकीन दिलाने के लिए अपनी वर्दी भी दिखायी और दावा किया कि वह जांच के हिस्से के रूप में उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

इसके बाद, ठगों ने पीड़ित को एक फर्जी अरेस्ट वारंट भी भेजा और कहा कि वह उसे गिरफ्तार करने वाले हैं। पीड़ित को डराते हुए उन्हें यह कहा गया कि अगर वह पैसा नहीं देंगे, तो उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाकर जेल भेज दिया जाएगा। इसके बाद पीड़ित को धमकी दी गई कि अगर वह रकम ट्रांसफर नहीं करेंगे, तो उन्हें गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

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धोखाधड़ी का तरीका:
सलीम अंसारी और उसके साथी ने पीड़ित को कहा कि एक विशेष कोर्ट का अकाउंट नंबर है, जिसमें 44 लाख रुपए ट्रांसफर करने होंगे। उन्होंने विश्वास दिलाने के लिए और कई धोखेबाजी के तरीके अपनाए, जैसे कि 24 घंटे के अंदर पैसे वापस मिलने का झांसा। डर के कारण पीड़ित ने बिना सोचे-समझे इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन जब 24 घंटे बाद भी पैसे वापस नहीं आए, तो उसने यह समझ लिया कि वह ठगी का शिकार हो चुका है।

महाराष्ट्र साइबर सेल की कार्रवाई:
इस मामले की शिकायत मिलने के बाद महाराष्ट्र की पुणे साइबर सेल ने अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन के साथ मिलकर जांच शुरू की और फिर आरोपी सलीम अंसारी को सीतामढ़ी के महादेव पट्टी से गिरफ्तार कर लिया। मामले में अन्य आरोपी की भी तलाश की जा रही है। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को स्थानीय न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे पुणे पुलिस के हवाले कर दिया गया।

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डिजिटल अरेस्ट का नया तरीका:
यह मामला ‘डिजिटल अरेस्ट’ की नई ठगी की प्रवृत्ति को उजागर करता है, जिसमें ठग वीडियो कॉल के जरिए शिकार को डराते हैं और उसे कई घंटों तक स्क्रीन पर कैद रखते हैं। इस तरह के ठग आमतौर पर पीड़ित को मानसिक दबाव में डालकर उसकी निजी और बैंक डिटेल्स प्राप्त करते हैं, और फिर उसे लूट लेते हैं। इस मामले में भी आरोपी ने पूरी प्लानिंग के साथ शिकार को चूना लगाया।

कैसे बचें इस धोखाधड़ी से:

  1. सतर्क रहें: किसी भी अनजान व्यक्ति से फोन या वीडियो कॉल पर निजी जानकारी साझा न करें।
  2. सरकारी एजेंसियों से संपर्क करें: यदि कोई व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी बताता है, तो हमेशा संबंधित विभाग से इसकी पुष्टि करें।
  3. कभी भी ऑनलाइन धोखाधड़ी में फंसे तो तुरंत शिकायत करें: ऐसे मामलों में पुलिस या साइबर सेल से तुरंत संपर्क करें।
  4. बैंक डिटेल्स का ध्यान रखें: किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने बैंक खाता नंबर, पिन, ओटीपी या अन्य जानकारी न दें।
  5. फर्जी अरेस्ट वारंट से बचें: असली एजेंसियां कभी भी वीडियो कॉल पर अरेस्ट वारंट जारी नहीं करतीं।

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मखन झा, TheMithila.com के एक उत्साही और सक्रिय कंटेंट क्रिएटर हैं। उन्हें 15 वर्षों तक साइबर कैफे चलाने का अनुभव है और वे सरकारी योजनाओं की बारीकियों को गहराई से समझते हैं।
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