IIT वाले बाबा पर जूना अखाड़ा का बड़ा एक्शन, प्रवक्ता बोले- ‘पढ़ाई ने बना दिया पागल!

IIT वाले बाबा पर जूना अखाड़ा का बड़ा एक्शन, प्रवक्ता बोले- 'पढ़ाई ने बना दिया पागल!

महाकुंभ में ‘IITan बाबा’ के नाम से मशहूर अभय सिंह को जूना अखाड़ा कैंप से बाहर कर दिया गया है। अखाड़ा के प्रवक्ता ने उन्हें ‘पढ़ा-लिखा पागल’ कहते हुए उनके गुरु को गाली देने का आरोप लगाया है। प्रवक्ता का कहना है कि अभय सिंह का व्यवहार गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के नियमों के खिलाफ है।

जूना अखाड़ा के प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि अभय सिंह साधु नहीं हैं। वो लखनऊ से यहां आकर खुद को साधु बताने लगे। नारायण गिरि ने कहा कि अभय सिंह अपने गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के साथ प्रयागराज के महाकुंभ में आए थे, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने गुरु के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इस वजह से उन्हें कैंप और उसके आसपास आने से बैन कर दिया गया है।

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अखाड़ा के अनुसार, अनुशासन सबसे अहम है, और जो गुरु का सम्मान नहीं करता, वो धर्म का भी सम्मान नहीं कर सकता।

अभय सिंह का बयान

अभय सिंह ने इस बैन पर कहा कि उन्होंने खुद अखाड़ा तब छोड़ा, जब वहां के सदस्यों ने उन्हें रुकने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ चार-पांच दिन वहां रुककर अखाड़ा के कामकाज को देखना चाहते थे, लेकिन उनकी प्रसिद्धि के बाद सबकुछ गलत हो गया।

जब उनसे पूछा गया कि उनका गुरु कौन है, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह हर किसी से सीखते हैं। यहां तक कि अखाड़ा में भी ध्यान करना भगवान शिव ने सिखाया।

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कौन हैं ‘IITan बाबा’?

अभय सिंह ने मीडिया को बताया कि वह IIT-बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। हरियाणा के एक जाट परिवार में जन्मे अभय सिंह ने कनाडा में एक एयरप्लेन कंपनी में नौकरी की, जहां उन्हें 3 लाख रुपये महीना सैलरी मिलती थी। लेकिन कोविड-19 के दौरान उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया।

भारत लौटने के बाद उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपनाया और उज्जैन व हरिद्वार जैसे स्थानों में समय बिताया। हालांकि, उनके परिवार ने उनके इस बदलाव पर चिंता जताई और उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पुलिस से संपर्क भी किया।

अंत में, छह महीने पहले अभय सिंह ने अपने परिवार से नाता तोड़ लिया और एक घुमक्कड़ जीवन जीने लगे।

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भगवान जी झा मिथिला के जाने-माने समाचार संपादक हैं। TheMithila.com पर वे मिथिला की भाषा, संस्कृति और परंपराओं को समर्पित लेखों के जरिए क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास करते हैं।
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