सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक सरकारी स्कूल में छत का प्लास्टर गिरने की घटना के चार दिन बाद भी स्कूल में सन्नाटा पसरा हुआ है। हादसे में घायल हुए बच्चों की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन उनके अभिभावक अभी भी भयभीत हैं और उन्हें स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
घटना जिले के सुप्पी प्रखंड के मनियारी खरहिया टोला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की है, जहां 15-20 दिन पूर्व ही छत की मरम्मत करवाई गई थी। हालांकि, चार दिन पहले कक्षा संचालन के दौरान अचानक छत का प्लास्टर गिर गया, जिससे पांच बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन-फानन में इन बच्चों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया।
एफआईआर दर्ज करने में देरी, प्रशासनिक सुस्ती जारी
इस घटना को लेकर अब तक कोई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज नहीं की गई है। जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) प्रमोद कुमार साहू ने तत्कालीन आदेश देते हुए सुप्पी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) सरिता कुमारी को प्रधानाध्यापक, संबंधित कनीय अभियंता और संवेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। बीईओ ने थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक मुकेश कुमार झा ने भी एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनका आवेदन भी थाने में लंबित पड़ा हुआ है। थानाध्यक्ष विष्णु देव कुमार के अनुसार, मामले की जांच चल रही है और वरीय अधिकारियों के निर्देश के बाद ही कोई ठोस कदम उठाया जाएगा। इस देरी से स्थानीय लोगों और अभिभावकों में आक्रोश बढ़ रहा है।
अभिभावकों की चिंता, स्कूल में सन्नाटा
हादसे के बाद से अभिभावक डरे हुए हैं और अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती और स्कूल भवन की मरम्मत सही तरीके से नहीं की जाती, तब तक वे बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। घटना के बाद से स्कूल में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है।
इस मुद्दे को लेकर जिला पार्षद आदित्य मोहन सिंह ने स्कूल का दौरा किया और अभिभावकों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने प्रशासन से इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की।
शिक्षक संघ ने उठाई आवाज
इस घटना के बाद सुप्पी प्रखंड परिसर में प्रखंड शिक्षक संघ की बैठक आयोजित की गई, जिसमें संघ अध्यक्ष राणा आकाशदीप समेत कई शिक्षकों ने भाग लिया। शिक्षकों का कहना है कि विभागीय प्रक्रिया के तहत टेंडर जारी कर मरम्मत कार्य कराया गया था, जिसमें शिक्षकों की कोई भूमिका नहीं थी। इसके बावजूद शिक्षकों को दोषी ठहराने की कोशिश की जा रही है, जो अनुचित है।
प्रशासन से उठ रहे सवाल
इस हादसे के बाद प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं:
- मरम्मत के कुछ दिनों बाद ही छत का प्लास्टर कैसे गिर गया?
- क्या ठेकेदार ने मानकों का पालन किया था?
- अब तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई?
- बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
निष्कर्ष
सीतामढ़ी जिले के इस सरकारी स्कूल में हुई घटना ने न केवल प्रशासन की लापरवाही उजागर की है, बल्कि सरकारी विद्यालयों में बुनियादी संरचनाओं की खराब स्थिति पर भी रोशनी डाली है। जब तक इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती और स्कूल की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते, तब तक बच्चों की शिक्षा बाधित ही रहेगी। अभिभावकों और स्थानीय लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द स्कूल को सुरक्षित बनाया जाए और दोषियों को सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।