मोतिहारी जिले में पुलिस प्रशासन से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। लगभग डेढ़ साल पहले जिस चरस तस्कर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, उसी तस्कर को कोर्ट में पहचानने से तत्कालीन थानाध्यक्ष ने इनकार कर दिया। इस घटना ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि थानेदार के निलंबन का भी कारण बना है।
तस्कर की पहचान से इनकार बना निलंबन का कारण
रामगढ़वा थाना क्षेत्र में डेढ़ साल पहले थानाध्यक्ष इंद्रजीत पासवान ने गुप्त सूचना के आधार पर तीन चरस तस्करों को गिरफ्तार किया था। इनमें से दो तस्करों के बैग से चरस बरामद हुई थी, जबकि तीसरा तस्कर बाइक चला रहा था। गिरफ्तारी के बाद पासवान खुद इस मामले में एफआईआर के सूचक बने और तीनों को जेल भेजा। जब कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, तो इंद्रजीत पासवान ने पांच महीने पहले हुए अपने बयान में दो तस्करों की पहचान कर ली, लेकिन तीसरे तस्कर को पहचानने से इनकार कर दिया। उनके इस बयान के बाद कोर्ट ने सरकारी वकील की रिपोर्ट के आधार पर मोतिहारी एसपी को थानेदार के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया।
एसपी ने संपत्ति जांच का आदेश दिया
मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इंद्रजीत पासवान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही, उनकी अर्जित संपत्ति की जांच के आदेश दिए गए। एसपी ने कहा कि यह मामला पुलिस की छवि को धूमिल करता है। थानाध्यक्ष का होस्टाइल होना न्याय प्रक्रिया में बाधा डालता है। अब उनकी संपत्ति की जांच के लिए भी आदेश जारी किया गया है।
पहले भी विवादों में रहे हैं इंद्रजीत पासवान
यह पहली बार नहीं है जब इंद्रजीत पासवान कोर्ट के निर्देश के कारण चर्चा में आए हैं। रामगढ़वा थाना में उनकी तैनाती के दौरान भी उच्च न्यायालय के आदेश के कारण उन्हें लाइन हाजिर किया गया था। अब बंजरिया थानाध्यक्ष के रूप में उनकी तैनाती पर भी यही कहानी दोहराई गई।
स्थानीय विवाद और थानेदारी पर आरोप
बंजरिया के स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रमुखों ने भी इंद्रजीत पासवान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बंजरिया के प्रमुख का आरोप है कि थानेदार ने अपने तीन चहेतों कुंदन पासवान, राहुल पासवान और विजय पासवान के माध्यम से थाने का कामकाज चलाया। ये लोग वसूली करते थे और कई बार पैसे फोन पे और नकदी के जरिए लेते थे। प्रमुख ने इनके मोबाइल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और बैंक खातों की जांच की मांग की है।
वहीं, इंद्रजीत पासवान ने अपने ऊपर लगे आरोपों को साजिश करार दिया और बंजरिया प्रमुख को वारंटी बताया। उन्होंने दावा किया कि एक सप्ताह पहले उन्होंने एक सरकारी वकील के खिलाफ एसपी से लिखित शिकायत की थी। इसी कारण अब उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है।
पुलिस की साख पर सवाल
यह मामला न केवल पुलिस की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है, बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। तस्कर को पहचानने से इनकार और थाने में कथित भ्रष्टाचार ने मोतिहारी पुलिस की साख पर बट्टा लगाया है।
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