भारत की हार’ वाली बात पर IIT बाबा की अजीबोगरीब सफाई, बोले- कभी भी भविष्यवाणी पर विश्वाश ना करो

रविवार को चैंपियंस ट्रॉफी के मैच में पाकिस्तान पर भारत की जोरदार जीत ने पूरे देश में जश्न का माहौल बना दिया। जहां एक तरफ सोशल मीडिया में विराट कोहली की तारीफें हो रही थी वहीं दूसरी तरफ IIT बाबा को लोग जमकर कोस रहे थे। यह वही है जिन्होंने भविष्यवाणी की थी इंडिया मैच हार जाएगी, उन्होंने दावे से कहा था कि कुछ भी कर लें भारत को हार का ही सामना करना पड़ेगा, जब यह बात जब झूठी साबित हुई तो वह अपनी बात से ही मुकर गए।  

एयरोस्पेस इंजीनियर से साधु बने अभय सिंह, जिन्हें ‘आईआईटीयन बाबा’ के नाम से जाना जाता है, महाकुंभ के दौरान प्रसिद्धि हुए थे। उन्होंने एक पॉडकास्ट में पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा था कि भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ जीतने का कोई मौका नहीं है। उन्होंने कहा- “इस बार भारत विजयी नहीं होगा। विराट कोहली और उनकी टीम को कहो कि वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें, लेकिन वे जीत नहीं पाएंगे। अगर मैं कहता हूं कि भारत नहीं जीतेगा, तो यह बिल्कुल नहीं होगा।” 

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हालांकि, भारत की निर्णायक जीत के बाद, सोशल मीडिया पर तथाकथित आध्यात्मिक गुरु का मजाक उड़ाने वाले मीम्स की बाढ़ आ गई। नेटिजेंस ने उनकी असफल भविष्यवाणी का लगातार मजाक उड़ाया, कई लोगों ने पॉडकास्ट होस्ट से उन्हें अतिथि के रूप में आमंत्रित करना बंद करने का आग्रह किया, उन्हें धोखेबाज करार दिया। यूजर ने सर्वसम्मति से मांग की कि अभय सिंह कोई और भविष्यवाणी न करें और लोगों की नजरों से दूर रहें।

IIT बाबा ने भविष्यवाणी गलत साबित होने के बाद, उसी यूट्यूबर से कॉल पर दोबारा बात की और कहा कि हम तो ऐसे ही खेलते है, हम हमारे लिए खेलते हैं। कभी भी किसी की प्रेडिक्शन-विडिक्शन (भविष्यवाणी) में विश्वास नहीं करना चाहिए। अपना दिमाग यूज करो न।  इस प्रकार आईआईटी बाबा अपनी ही भविष्यवाणी से पलट जाते है और लोगों को अपना दिमाग चलाने के लिए कहने लगते है। इसके बाद IIT बाबा से पूछा गया कि आप फाइनल मैच की भविष्यवाणी कीजिए। इस पर IIT बाबा ने कहा- “अरे यार, मैं तो यही चाहता हूं कि प्रेडिक्शन वगैरह यहीं खत्म हो जाए। मैं चाहता हूं कि लोगों को पता न चले कि मैं रियल में भविष्यवाणी कर रहा हूं या नहीं। वो मुझे कहीं पकड़ नहीं पाए।”

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जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।
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