मिथिलाक एक महत्वपूर्ण लोकपर्व जूड़ शीतल 15 अप्रैल 2025 (रविवार) के मनायल जा रहल अछि। एक दिन पूर्व सतुआइन 14 अप्रैल 2025 (शनिवार) के होयत।
जूड़ शीतल पर्वक विशेषता आ महत्व
मिथिला संस्कृति में वैज्ञानिक सोच सं जुड़ल लोकपर्व सभ विशेष स्थान रखैत अछि। जूड़ शीतल ओहि पावैन सभ मे सँ एकटा अछि, जइमे पर्यावरण, जल-संरक्षण आ स्वास्थ्य केर अद्भुत समावेश अछि।
1. पारंपरिक रीति-रिवाज आ विधि
- अहि दिन चूल्हा नै जरायल जाइत अछि। एक दिन पूर्व सतुआइन के राति बनल बड़ी-भात, दही, समार आ बसिया भोजन ग्रहण करबाक परंपरा अछि।
- सबेरे-सबेरे बड़-बुजुर्ग अपन परिजन के माथ पर शीतल जल छिटकैत छथि, जइमें स्नेह आ आशीर्वादक भाव रहैत अछि।
- कादो-माटि (कीचड़-मिट्टी) खेलबाक परंपरा अछि, जे गर्मी में त्वचा के ठंडक देबाक संग स्वास्थ्य लाभ सेहो पहुँचेबाक संकेत दैत अछि।
2. जल संरक्षण के संदेश
- अहि पर्व सँ गर्मी में जल संग्रह करबाक महत्व उजागर होइत अछि। लोक एक दिन पूर्व बरतन में जल भरिकय राखैत छथि, जे जल-संकट से बचबाक संकेत दैत अछि।
- मिथिला क्षेत्र में बाढ़िक बाद अगलगीक समस्या बेसी होइत अछि, एहिलिए लोक जूड़ शीतल के अग्नि शमन दिवस केर रूप में सेहो देखैत छथि।
3. पर्यावरण संरक्षण आ वृक्षारोपण के परंपरा
- गाछ-पात पर जल अर्पण करबाक परंपरा अछि, विशेष रूप सँ तुलसी के गाछ पर पनिसल्ला (मिट्टीक घड़ा) राखल जाइत अछि।
- छोट-बड़का वृक्ष पर जल देल जाइत अछि, जे वातावरण में नमी बनाए रखबाक संकेत दैत अछि।
4. बाट पर जल छिटबाक परंपरा
- बहिन सभ अपन भाइ के आगमन के बाट पर जल छिटकैत छथि, जाहि सँ धरती शीतल रहैछ आ धूलि नै उड़ैछ।
- किछु स्थान पर ई परंपरा जूड़ शीतल के बाद संपूर्ण महीना धरि चलैत अछि।
मिथिलाक नववर्ष – आखर बछौर
जूड़ शीतल केवल शीतलता प्रदान करय बला पर्व नै, बल्कि मिथिला नववर्ष (आखर बछौर) केर आरंभ सेहो अछि।
- मिथिलावासी अहि दिन बोरी-भात, सन्देश आदिक विशेष भोजन ग्रहण करैत छथि।
- ई दिन तिरहुता पंचांग अनुसार नववर्षक पहिल दिन होइत अछि।
- संपूर्ण मिथिला आ नेपालक कुछ भाग में ई पर्व अत्यंत श्रद्धा आ हर्षोल्लास सं मनायल जाइत अछि।
थारू समाज में जूड़ शीतल (सिरुवा) उत्सव
- नेपालक दक्षिण-पूर्वी तराई क्षेत्र में थारू समाज ई पर्व सिरुवा नाम सं मनबैत अछि।
- एहि दिन पानी छिटबाक परंपरा विशेष महत्व रखैत अछि, जतय बुजुर्ग अपन छोट लोकक माथ पर जल छिटकैत छथि आ आशीर्वाद दैत छथि।
- युवा वर्ग आपस में एक-दोसरा पर जल छिटकैत अछि आ पर्वक आनंद लैत अछि।
आधिकारिक मान्यता आ छुट्टी
- मिथिला क्षेत्रक पारंपरिक पंचांग तिरहुता पंचांग अनुसार नववर्ष केर आगमन अहि दिन होइत अछि।
- बिहार सरकार 2011 में जूड़ शीतल के राजकीय पर्व घोषित केलक आ “मिथिला दिवस” केर रूप में 14 अप्रैल के सार्वजनिक अवकाश देलक।