Aaju Siya Ji Ke aptan Lagaoo Lyrics – आजु सिया जी के अपटन लगाऊ लिरिक्स

बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह

Aaju Siya Ji Ke aptan Lagaoo Lyrics – आजु सिया जी के अपटन लगाऊ लिरिक्स

आजु सिया जी के अपटन लगाऊ
आजु सिया जी के अपटन लगाऊ
मंगल गीत सुनाऊ अपटन लागी रही
मंगल गीत सुनाऊ अपटन लागी रही
कथी कटोरी में आगर चानन
कथी कटोरी में आगर चानन
कथी कटोरी फुलेल अपटन लागी रही
कथी कटोरी फुलेल अपटन लागी रही

सोने कटोरी में आगर चानन
सोने कटोरी में आगर चानन
रूपे कटोरी फूलेल अपटन लागी रही
रूपे कटोरी फूलेल अपटन लागी रही
अपटन लगाउ सुहाग बल देहु
अपटन लगाउ सुहाग बल देहु
जुगे जुगे बढ़े अहीबात अपटन लागी रही
जुगे जुगे बढ़े अहीबात अपटन लागी रही

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कोई जे गावे कोई बजावे
कोई जे गावे कोई बजावे
कोई चीरे नामिकेस अपटन लागी रही
कोई चीरे नामिकेस अपटन लागी रही
राधा जे गावे रुक्मिन बजावे
राधा जे गावे रुक्मिन बजावे
ललिता चिरेनामिकेस अपटन लागी रही
ललिता चिरे नामिकेस अपटन लागी रही

चुमबए चललन दादी सुहागिन
चुमबए चललन दीदी सुहागिन
उनका खोइचा में दूबि धान अपटन लागी रही
उनका खोइचा में दूबि धान अपटन लागी रही
चुमबए चललन अम्मा सुहागिन
चुमबए चललन भाभी सुहागिन
उनका खोइचा में दूबि धान अपटन लागी रही
उनका खोइचा में दूबि धान अपटन लागी रही

आजु सिया जी के उबटन लगाऊ
आजु सिया जी के उबटन लगाऊ
मंगल गीत सुनाहु अपटन लागी रही
मंगल गीत सुनाहु अपटन लागी रही

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जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।
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