उगना रे मोर कतए गेलाह लिरिक्स | Ugna Re Mor Katai Gela Lyrics –

उगना रे मोर कतए गेलाह लिरिक्स | Ugna Re Mor Katai Gela Lyrics -

विद्यापती कॆ लॊकगित – उगना रे मोर कतए गेलाह लिरिक्स | Ugna Re Mor Katai Gela Lyrics –

उगना रे मोर कतए गेलाह,
कतए गेला शिव कीदहू भेलाह।

भांग नहि बटुआ रुइस बैसलाह,
जोहि हेरि आनि देल हैंस उठलाह।

जे मोर उगनाक कहत उदेस,
ताहि देब ओकर कँगन संदेश।

नन्दन वन बीच भेटल महेस,
गौरी मन हरखित भेटल कलेस।

विद्यापति मन उगना सो काज,
नहि हितकर मोर तिहुवन राज।

आधुनिक – विद्यापती कॆ लॊकगित – उगना रे मोर कतए गेलाह लिरिक्स | Ugna Re Mor Katai Gela Lyrics –

हे रे उगना…. रे उगना….
उगना…… उगना….
हे रे उगना…. रे उगना….
उगना…… उगना…..

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उगना रे….. मोर कतए गेलाह,
कतए गेला शिव कीदहू भेलाह
मोर कतए गेलाह
हे रे उगना…. रे उगना….
उगना…… उगना….
हे रे उगना…..

भांग नहि बटुआ रुइस बैसलाह,
जोहि हेरि आनि देल हैंस उठलाह
मोर कतए गेलाह

जे मोर उगनाक कहत उदेस,
ताहि देब ओकर कँगन संदेश
मोर कतए गेलाह
हे रे उगना….

नन्दन वन बीच भेटल महेस,
गौरी मन हरखित भेटल कलेस
मोर कतए गेलाह

विद्यापति मन उगना सो काज,
नहि हितकर मोर तिहुवन राज
मोर कतए गेलाह
हे रे उगना….

जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।
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