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मिथिला की पांच विख्यात महिलाये जिनका पुस्तकों में होता हैं उल्लेख
आलेख, कथा-सागर, लॊक कथा

मिथिला की पांच विख्यात महिलाये जिनका पुस्तकों में होता हैं उल्लेख

मिथिला की कुछ स्त्रियों का प्राचीन ग्रंथों और इतिहास की पुस्तकों में अक्सर नाम उल्लेखित रहता है | इन स्त्रियों ने  अपने ज्ञान से न केवल मिथिला अपितु संपूर्ण भारतवर्ष का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया है | आईये जानतें हैं की ये  कौन थीं ?

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मॉडर्न-क्लासिक मैथिलि साहित्य की 5 बड़ी हस्तियाँ
आलेख

मॉडर्न-क्लासिक मैथिलि साहित्य की 5 बड़ी हस्तियाँ

मॉडर्न-क्लासिक मैथिलि साहित्य की 5 बड़ी हस्तियाँ – राजकमल चौधरी, नागार्जुन, हरिमोहन झा, उषा किरण खान, और डा. शेफालिका वर्मा जैसे साहित्यकारों

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कौन थे राजा सल्हेश ?
आलेख, कथा-सागर, लॊक कथा

कौन थे राजा सल्हेश ?

राजा सल्हेश को मधुबनी जनपदों में सर्वजातीय श्रद्धा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त है| इनके शौर्य एवं राज्य प्रशासन की इनकी अदभुत क्षमता से पूर्ण इनकी गाथाएं , उपन्यास, नाटक, रेडियो नाटक, टेलीफिल्म , लोकचित्रों या नृत्य आदि साहित्यिक सांस्कृतिक माध्यम से अधिक स्पंदित नहीं हो पाई है |

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‘मामा यौ कनी खैनी दिय’
आलेख

‘मामा यौ कनी खैनी दिय’ ने बनाया था इस गायक को कालजयी !

हेमकान्त झा के कई लोकप्रिय गीतों में “मामा यो कनि खैनी दिअ, अपनों खाऊ, हमरो दीअ बाबू मान्गैय से हो दीअ” ने खास पहचान बनाई। उनके एलबम्स जैसे “चल मिथिला में चल,” “हिमरेखा,” “सनेस,” “ममता,” “भौजी,” “कखन हरब दुःख मोर,” और “सौगात” भी बहुत पसंद किए गए और काफी लोकप्रिय हुए।

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विद्यापति - जीवन परिचय और रचनाएँ
लॊक कथा

विद्यापति – जीवन परिचय और रचनाएँ

बाबा विद्यापति (1352-1448 ई.) मिथिला के कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और राज पुरोहित थे। वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे, लेकिन उनके लेखन में प्रेमगीत और वैष्णव भक्ति गीतों की भी प्रमुखता थी

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कवि विद्यापति की थी दो पत्नियाँ : जीवन परिचय और पृष्टभूमी
कथा-सागर, लॊक कथा

कवि विद्यापति की थी दो पत्नियाँ : जीवन परिचय और पृष्टभूमी

कवि विद्यापति की थी दो पत्नियाँ : जीवन परिचय और पृष्टभूमी

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कोजागरा 2025: तिथि, समय, महत्व और परंपराएं
मैथिली पतरा

मिथिला पंचांग  कोजागरा 2025 : तिथि, समय, महत्व और परंपराएं

कोजागरा व्रत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का पर्व है, जो देवी लक्ष्मी की कृपा और अमृत वर्षा के साथ-साथ सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह पर्व हमें अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को जीवित रखने की प्रेरणा देता है।

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An antique typewriter displaying a typed poem in a nostalgic sepia tone.
लॊक कथा

अरुण झा की कविताँए

अरुण झा की कविताएँ जिंदगी के छोटे-बड़े लम्हों, रिश्तों की गहराइयों और इंसानी जज्बातों को छूती हैं। उनकी रचनाओं में एक ऐसी सादगी और गहराई है, जो सीधे दिल तक पहुंचती है।

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गोनू झा कौन थे ?
कथा-सागर, लॊक कथा

गोनू झा कौन थे ?

गोनू झा को सम्पूर्ण मिथिलांचल में बीरबल के नाम से पहचाना जाता है | जिस प्रकार बीरबल और तेनाली राम अपनी चतुराई और हाजिर जबाबी के लिए प्रसिद्ध हैं उसी तरह गोनू झा भी अपनी चतुराई और वाक्पटुता के लिए समपर्ण मिथिलांचल में प्रसिद्ध हैं |

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जहाँ आप गा सकते हैं किन्तु नाच नहीं सकते
आलेख, कथा-सागर, लॊक कथा

जहाँ आप गा सकते हैं किन्तु नाच नहीं सकते

मिथिला के लोक जीवन की एक विडंबना है कि यहाँ लोकनृत्य का लगभग अभाव-सा है | विवाह आदि के अवसर पर भी मिथिला में लोक-नृत्य का कोई चलन नहीं है और यह बात हर जाति,हर वर्ग पर लागू होती है |

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