रानी सुनैना के सुंदर जमाई चलु परिछु गे दाई – Rani Sunaina Ke Sundar Jamai

Parati Geet Lyrics | पराती लोकगीत - मैथिली प्राति गीत लिरिक्स

रानी सुनैना के सुंदर जमाई चलु परिछु गे दाई – Rani Sunaina Ke Sundar Jamai

चलु परिछु गे दाई, रानी सुनैना के सुंदर जमाई
चलु परिछु गे दाई, रानी सुनैना के सुंदर जमाई
चलु परिछु गे दाई…

माथे मुकुट भाल चन्दन सोहाय,
माथे मुकुट भाल चन्दन सोहाय
सोभा निरख इंद्र, चंद्रो लजाय
चलु परिछु गे दाई…

राजा जनक द्वार बाजे बधाई
राजा जनक द्वार बाजे बधाई
देखिते सिनेहिया के नैना जुड़ाई
चलु परिछु गे दाई…

जय चन्द्र झा हास्य और व्यंग्य लेखन में माहिर हैं, जिनका इस क्षेत्र में 20 वर्षों का अनुभव है। उनकी रचनाएँ मिथिला की संस्कृति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हास्यपूर्ण व तीखे व्यंग्य के साथ गहरी छाप छोड़ती हैं।
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