एकादशी व्रत को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे रखने से मोक्ष प्राप्ति, पापों का नाश और मन की शुद्धि होती है। हर महीने में दो बार एकादशी आती है—एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में।
एकादशी व्रत को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे रखने से मोक्ष प्राप्ति, पापों का नाश और मन की शुद्धि होती है। हर महीने में दो बार एकादशी आती है—एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में।
एकादशी व्रत से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है?
यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और पापों के नाश हेतु रखा जाता है। यह आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
एकादशी व्रत के नियम क्या हैं?
इस दिन उपवास रखना, अन्न का सेवन न करना, केवल फलाहार या जलाहार करना उचित माना जाता है। साथ ही, भगवान विष्णु की आराधना और सत्संग करना चाहिए।
क्या एकादशी पर अनाज खा सकते हैं?
नहीं, इस दिन अनाज, चावल आदि का सेवन वर्जित होता है। भक्त केवल फल, दूध, और सात्विक आहार लेते हैं।
एकादशी व्रत का पारण कब किया जाता है?
द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद एक विशिष्ट समय सीमा में व्रत का पारण किया जाता है।
क्या एकादशी व्रत केवल हिंदू धर्म में ही महत्वपूर्ण है?
हां, यह मुख्य रूप से हिंदू धर्म में ही माना जाता है और विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय में इसका विशेष महत्व है।
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A Post by Prof Shiv Chandra JhaEditor
प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।