मिथिला हाट मधुबनी: संस्कृति, कला, और धरोहर का संगम – मिथिला हाट, बिहार के सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मिथिला के मधुबनी जिला अंतर्गत आता है। यह स्थान केवल पर्यटन या व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि मधुबनी चित्रकला की अनमोल धरोहर को प्रदर्शित करने का एक जीवंत स्थल है। यह आधुनिक बाज़ार मिथिला की सांस्कृतिक पहचान का केंद्र है, जहाँ परंपरा, कला और पर्यटन एक साथ मिलता हैं, तथा इस प्राचीन भूमि का आधार है । मिथिला हाट का निर्माण बिहार राज्य पर्यटन निगम द्वारा वर्ष २०१९ में किया पुर्ण किया गया था ।
मिथिला हाट कैसे पहुंचे
मिथिला हाट बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर अनुमंडल अंतर्गत अररीया संग्राम में राजमार्ग संख्या २७ पर स्थित है, जो विभिन्न प्रकार के आवागमन के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है:
वायु मार्ग: दरभंगा हवाई अड्डा, मधुबनी जिले से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दरभंगा हवाई अड्डा से आप टैक्सी या कैब किराए पर लेकर सीधे मिथिला हाट पहुंच सकते हैं। जिसका किराया लगभग ८०० से १००० के बिच में है ।
रेल मार्ग: दरभंगा तथा मधुबनी रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दोनो रेलवे स्टेशन से मिथिला हाट थोड़ी ५० कि.मी. कि दूरी पर है, और आप ऑटो-रिक्शा या टैक्सी द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग: -मिथिला हाट राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 27 पर स्थित है। आप पटना, दरभंगा या अन्य निकटवर्ती शहरों से ड्राइव कर सकते हैं या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। नियमित बसें भी पटना और दरभंगा से मधुबनी तक चलती हैं।
मिथिला हाट का महत्व
मिथिला हाट केवल एक स्थान नहीं है; यह एक विचार है जो पारंपरिक कारीगरों और वैश्विक खरीद-दारों के बीच की खाई को पाटता है। यह पहल कलाकारों, खासकर महिलाओं, को उनके द्वारा निर्मित मधुबनी कलाकृतियों को प्रदर्शित और बेचने का मंच प्रदान करती है, जिससे की मिथिला की कला की धरोहर को संरक्षित किया जा सके। यह एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी माध्यम है, जिससे पर्यटक मिथिला की भोजन, संगीत, साहित्य और शिल्प का आनंंद ले सकते हैं।
मिथिला हाट स्थायी और स्थानीय शिल्प कला का समर्थन करता है । औद्योगीकरण और बड़े पैमाने पर उत्पादन के युग में, मिथिला हाट का हस्तनिर्मित, स्थायी कला पर जोर पारंपरिक कारीगरी के उत्थान का प्रमाण है।
मधुबनी कला: मिथिला की विरासत
मिथिला हाट के केंद्र में मधुबनी कला की अदभुत दुनिया है, जो एक मिथिला क्षेत्र की पारंपरिक चित्रकला शैली है । यह विश्व प्रसिद्ध कला आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक कथाओं में गहराई से निहित है, जो कागज, कपड़े या दीवारों पर जटिल कला का प्रदर्शन करने के लिए प्राकृतिक रंगों और रंजकों का उपयोग करती है।
ऐतिहासिक उत्पत्ति
मधुबनी, जिसका अर्थ “शहद का जंगल” है, रामायण जैसे महाकाव्यों में अपनी पहचान पाती है। मिथिला के राजा महाराज जनक ने अपनी बेटी सीता की भगवान राम से शादी के दौरान अपने महल की दीवारों को सजाने के लिए कलाकारों को नियुक्त किया जिसमें मिथिला चित्रकला का उपयोग किया गया था तब से आज तक मिथिला के प्रत्येक घरों किसी भी शुभ कार्य पर इसे दिवालो पर उकेरा जाता है । सदियों से, यह कला रूप घरेलू अनुष्ठानों का हिस्सा होने से एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक खजाना बन गया।
शैलियाँ और तकनीकें
मधुबनी कला को पाँच मुख्य शैलियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- कचनी (रेखांकन): बारीक, जटिल रेखांकन और रंगों के न्यूनतम उपयोग के लिए जाना जाता है।
- भरनी (भराई): जीवंत रंगों और रूपांकनों की विशेषता, अक्सर पौराणिक विषयों को दर्शाते हैं।
- तांत्रिक: गूढ़ और धार्मिक प्रतीकों पर केंद्रित, जिसमें देवताओं और यंत्रों का चित्रण शामिल है।
- गोदना (टैटू): पारंपरिक टैटू पैटर्न से प्रेरित, अक्सर एकरंगी।
- कोहबर: विवाह समारोहों से जुड़ा, जिसमें खुशी और समृद्धि की थीम होती है।
प्राकृतिक सामग्री
मधुबनी कला अपनी प्राचिन जड़ों से अब तक मजबुत है और प्राकृतिक सामग्री पर ही निर्भर करती है:
- हल्दी, इंडिगो, केसर और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंग।
- बाँस की छड़ियों या टहनियों से बने ब्रश।
- आधार सामग्री, पारंपरिक रूप से दीवारें या हस्तनिर्मित कागज, पर्यावरण-सचेत प्रथाओं को दर्शाती है।
मिथिला हाट: धरोहर के लिए एक बाज़ार
मिथिला चित्रकला के कलाकारों का स्वर्ग
मधुबनी के कलाकारों के लिए, मिथिला हाट एक बाजार स्थल के रूप में कार्य करता है जहाँ वे अपने निर्माण को कला प्रेमियों के साथ सीधे साझा कर सकते हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ आगंतुक कलाकारों से मिल सकते हैं, उनके प्रेरणा को समझ सकते हैं, और मधुबनी पेंटिंग तकनीकों का लाइव प्रदर्शन देख सकते हैं।
विविध पेशकश
मिथिला हाट के स्टॉल्स विभिन्न हस्तनिर्मित वस्तुओं से भरे हुए हैं:
- चित्र: छोटे कलाकृतियों से लेकर बड़े वॉल हैंगिंग्स तक, प्रत्येक कला एक कहानी सुनाता है।
- होम डेकोर: लैंपशेड्स, कुशन कवर और वॉल प्लेट्स मधुबनी चित्रकला से सजी हुई यहा उपलब्ध है।
- वस्त्र: साड़ियों, कुर्तों और स्कार्फ में जटिल मधुबनी चित्रकला डिज़ाइन।
- आभूषण: पारंपरिक पैटर्न से प्रेरित अद्वितीय, हस्तनिर्मित आभूषण।
- पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद: बैग, कोस्टर और डायरी स्थायी सामग्रियों से बनाई गई।
एक यादगार यात्रा स्थल
मिथिला हाट केवल कला तक सीमित नहीं है। यह एक यादगार दर्शनीय स्थल भी है, यहां आप पारंपरिक मिथिला के व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं ।
- लिट्टी-चोखा: बिहार का मशहुर क्यंजन।
- पुआ और मालपुआ: आटा, दूध और चीनी से तैयार मीठे व्यंजन, अक्सर इलायची के स्वाद वाले।
- दही-चूड़ा: दही और गुड़ के साथ परोसा गया चपटा चावल, त्योहारों के दौरान एक मुख्य भोजन।
मिथिला हाट में त्यौहार और कार्यक्रम
मिथिला हाट केवल एक बाजार नहीं है; यह एक सांस्कृतिक उत्सव है। पूरे वर्ष, यह त्योहारों तथा समारोहों की मेजबानी करता है जो मिथिला की समृद्ध विरासत का जश्न मनाते हैं:
- मधुबनी कला कार्यशालाएँ: ये सत्र आगंतुकों को प्रमुख कारीगरों के मार्गदर्शन में कला को आजमाने की अनुमति देते हैं।
- लोक संगीत और नृत्य प्रदर्शन: मैथिली संगीत और नृत्य रूपों की जीवंत परंपराओं को देखें जैसे जट-जटिन और सामा चकेवा।
- थीमेटिक प्रदर्शनियां: मिथिला संस्कृति के विशिष्ट पहलुओं को प्रदर्शित करते हुए, जैसे कि वैवाहिक अनुष्ठान या कृषि प्रथाएं।
- साहित्य उत्सव: मैथिली साहित्य और प्रसिद्ध कवियों जैसे विद्यापति के कार्यों को उजागर करना।
- फसल उत्सव: छठ पूजा और सीता नवमी जैसे क्षेत्रीय त्यौहारों को उत्साह के साथ मनाना।
मिथिला हाट का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
महिलाओं को सशक्त बनाना
मधुबनी कला का एक महत्वपूर्ण पहलू इसका महिलाओं को सशक्त बनाने में भूमिका है। पारंपरिक रूप से, इस कला के संरक्षक महिलाएं थीं जो घरेलू अनुष्ठानों में दीवारों पर चित्र बनाती हैं । मिथिला हाट इन कलाकारों को अपने कौशल का मुद्रीकरण करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलता है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना
स्थानीय शिल्प को बढ़ावा देकर, मिथिला हाट क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। यह न केवल कलाकारों के लिए राजस्व उत्पन्न करता है बल्कि पर्यटन, परिवहन और आतिथ्य में भी सहायक अवसर पैदा करता है।
सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
वैश्वीकरण के मुकाबले में, कई पारंपरिक कला रूप विलुप्त होने के जोखिम में हैं। मधुबनी कला को जीवित रखने के लिए मिथिला हाट के प्रयास यह सुनिश्चित करती है कि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से जुड़ी रहें।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
चुनौतियाँ
जबकि मिथिला हाट पारंपरिक कला के संरक्षण के लिए आशा की किरण है, इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- बाजार में प्रवेश: अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक अपनी पहुँच का विस्तार करना एक चुनौती बना हुआ है।
- नकली कलाकृतियाँ: मशीन से बने प्रतिकृतियों की आमद मधुबनी कला की प्रामाणिकता को चुनौती देती है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: बड़ी भीड़ और बेहतर लॉजिस्टिक्स
मिथिला हाट सम्पुर्ण मिथिलांचल का एक महत्वपुर्ण पर्यटन स्थल के रुप में उभरा है । आप भी एक बार अवश्य यहां आकर मिथिला के बेहतरीन कला एवं यहां स्थापित १० फूड कोर्ट मे उपलब्ध पारंपरीक भोजन का आनंद लें । टिकट शुल्क मात्र २० रुपया है । मिथिला हाट आने के बाद आप बेहद अच्छा महसूस करेंगे, एंट्री करते ही चारों तरफ के कोरिडोर और बीच में पोखर की घटा देखते ही बनती है. स्ट्रीट के किनारे लगी दुकानें और बच्चों के मनोरंजन से लेकर आपकी संस्कृति का ख्याल रखने वाली धरोहर चीजें काफी अच्छी लगेगी. यहां स्थित भंसाघर में पुराने समय के रसोई और व्यंजन की यादें ताजा हो जाएंगी. वहीं बोट से तालाब में घूमते हुए मजा आ जाएगा.
मिथिला जनपद कॆ स्थापना काल का निर्णय साभार – प्रॊ. शिव चन्द्र झा shiv.chandra@themithila.com
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