आचार्य किशोर कुणाल: मां जानकी जन्मस्थली के प्रति अधूरा सपना

आचार्य किशोर कुणाल: मां जानकी जन्मस्थली के प्रति अधूरा सपना

आचार्य किशोर कुणाल, पूर्व आईपीएस अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास पटना के सचिव, का 2024 के अंत में निधन भारतीय आध्यात्मिक और धार्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और मानव सेवा को समर्पित रहा। सीतामढ़ी स्थित पुनौराधाम के विकास और मां जानकी जन्मस्थली के महत्व को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनका योगदान अतुलनीय है।

पुनौराधाम के विकास में आचार्य किशोर कुणाल का योगदान

आचार्य किशोर कुणाल ने मां जानकी जन्मस्थली पुनौराधाम के विकास का संकल्प 2011-12 में लिया। उन्होंने यहां 61 मीनारों वाला “सीता बाल स्वरूप मंदिर” बनाने का सपना देखा था, जिसे जनवरी 2025 के बाद शुरू करने की योजना थी।

  1. सीता रसोई की स्थापना (2016)
    पुनौराधाम में तीर्थ यात्रियों के लिए सात्विक भोजन उपलब्ध कराने हेतु उन्होंने “सीता रसोई” की स्थापना की। यह रसोई आज भी महावीर मंदिर न्यास के सौजन्य से निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है।
  2. संत निवास का निर्माण
    तीर्थ स्थल पर आने वाले संतों के ठहरने के लिए उन्होंने सीता रसोई भवन के ऊपरी तल पर संत निवास का निर्माण कार्य आरंभ कराया, जो अंतिम चरण में है।
  3. जानकी उद्धव प्रतिमा की स्थापना (2013)
    सीतामढ़ी स्टेशन परिसर में जानकी उद्धव प्रतिमा स्थापित करने के लिए महावीर मंदिर न्यास ने 14.50 लाख रुपये की सहायता दी। इसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।
  4. पर्यटन विकास के प्रयास
    उन्होंने पुनौराधाम से हलेश्वर स्थान होते हुए जनकपुर धाम तक तीर्थ यात्रा के लिए महावीर मंदिर न्यास की ओर से बस सेवा प्रदान की। हालांकि कोविड-19 के कारण यह सेवा स्थगित हो गई थी।
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आचार्य किशोर कुणाल का जीवन और सेवा कार्य

  1. महावीर मंदिर ट्रस्ट का विस्तार
    आचार्य किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से कई सामाजिक और धार्मिक परियोजनाओं की शुरुआत की। इनमें पटना का महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य अस्पताल, और महावीर नेत्रालय प्रमुख हैं।
  2. अयोध्या आंदोलन में सक्रिय भूमिका
    आचार्य किशोर कुणाल भारतीय ज्ञान परंपरा के विद्वान और अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख सहभागी रहे।
  3. सनातन धर्म और सेवा का संगम
    उन्होंने धर्म को सेवा से जोड़ते हुए दान की राशि का उपयोग सेवा कार्यों में सुनिश्चित किया। यह उनकी कुशल प्रबंधन और धार्मिक निष्ठा का प्रतीक है।
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उनके निधन पर शोक संवेदनाएं

उनकी मृत्यु से आध्यात्मिक जगत, प्रशासनिक सेवा और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उन्हें भारतीय ज्ञान परंपरा और अध्यात्म के क्षेत्र का दिग्गज बताया।
  • भाजपा के संस्थापक सदस्य आर.के. सिन्हा ने उन्हें “धर्म और सेवा का अभूतपूर्व उदाहरण” करार दिया।
  • महावीर मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से किए गए उनके कार्यों को उनके समर्पण और प्रबंधन क्षमता का प्रमाण माना जाता है।

आचार्य किशोर कुणाल का अधूरा सपना: 61 मीनारों वाला सीता बाल स्वरूप मंदिर

आचार्य किशोर कुणाल का सपना था कि पुनौराधाम में 61 मीनारों वाला सीता बाल स्वरूप मंदिर बने, जो मां जानकी की जन्मस्थली को वैश्विक पहचान दिलाए। यह सपना आज भी अधूरा है लेकिन उनकी विरासत से प्रेरित लोग इसे पूरा करने के प्रयास करेंगे।

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विरासत और प्रेरणा

आचार्य किशोर कुणाल ने अपने जीवन में अध्यात्म, प्रशासन और समाज सेवा को एक नई ऊंचाई दी। मां जानकी जन्मस्थली को लेकर उनकी जो निष्ठा और संकल्प था, वह आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा।

भगवान जी झा मिथिला के जाने-माने समाचार संपादक हैं। TheMithila.com पर वे मिथिला की भाषा, संस्कृति और परंपराओं को समर्पित लेखों के जरिए क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का प्रयास करते हैं।
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