LNMU – खता कॉलेज की, सजा छात्रा को

खता कॉलेज की, सजा छात्रा को

नामांकन के बावजूद डैशबोर्ड पर अपलोड नहीं हुआ नाम, छात्रा ने न्याय की गुहार लगाई। दरभंगा के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) में छात्रहित के नाम पर किए जाने वाले दावे इस बार एक छात्रा के जीवन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। स्नातक प्रथम सेमेस्टर (सत्र 2024-28) की छात्रा गुलदरख्शा, जो मधुबनी स्थित आरके कॉलेज की राजनीति विज्ञान विभाग की प्रतिष्ठा छात्रा हैं, अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही से उनका एक साल बर्बाद होने की कगार पर है।

गुलदरख्शा ने विश्वविद्यालय की सीएटी (केंद्रीय आवेदन प्रक्रिया) के तहत आवेदन किया और विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित सूची में उन्हें आरके कॉलेज, मधुबनी आवंटित किया गया। उन्होंने नामांकन प्रक्रिया पूरी की, शुल्क का भुगतान किया और उन्हें नामांकन की रसीद भी प्राप्त हुई। कॉलेज ने उन्हें रोल नंबर आवंटित कर दिया और वह नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित होने लगीं।

जब विश्वविद्यालय ने पंजीयन के लिए छात्र-छात्राओं की सूची मांगी और शुल्क जमा करने को कहा, तो गुलदरख्शा ने कॉलेज का रुख किया। यहीं पर पहली बार पता चला कि उनके नाम का विवरण विश्वविद्यालय के पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किया गया है। इस कारण से उनका नाम पंजीयन सूची में नहीं आया। गुलदरख्शा का नाम न होने के कारण परीक्षा फार्म और शुल्क जमा नहीं हो सका। इससे उनकी पढ़ाई और भविष्य दोनों पर संकट आ खड़ा हुआ। वह बार-बार कॉलेज और विश्वविद्यालय के चक्कर काट रही हैं लेकिन कहीं से समाधान नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि, “कॉलेज प्रशासन की गलती से मेरा एक साल बर्बाद हो रहा है। इसका जिम्मेदार कौन है? मुझे न्याय चाहिए।”

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आरके कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल कुमार मंडल ने मामले की जानकारी होने की बात स्वीकारते हुए कहा, “हम इस मामले की पूरी तहकीकात कर रहे हैं। छात्रा का साल बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा और समस्या को प्राथमिकता से हल किया जाएगा।” हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। कॉलेज की इस लापरवाही से न केवल गुलदरख्शा, बल्कि अन्य छात्रों का भी भविष्य खतरे में पड़ सकता है। छात्र नेताओं, जैसे कि किसन कुशवाहा, विवेक चौधरी और अमरजीत पासवान ने इस मामले में विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम हैं। अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो छात्र आंदोलन करेंगे।”

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गुलदरख्शा का कहना है कि उनका एक साल बर्बाद हो रहा है और उन्हें दोबारा नामांकन का अवसर भी नहीं मिल सकता। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक तंत्र की खामियां और कॉलेजों की गैर-जिम्मेदारी सवालों के घेरे में हैं। यदि यह समस्या अन्य छात्रों के साथ भी होती है, तो यह पूरे सत्र को प्रभावित कर सकती है। विश्वविद्यालय को जल्द से जल्द छात्रा का नाम पोर्टल पर अपलोड करना चाहिए ताकि वह पंजीयन और परीक्षा प्रक्रिया पूरी कर सके। कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। संबंधित कॉलेज और कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी छात्र का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद न हो।

इस घटना ने न केवल छात्रा के भविष्य को खतरे में डाला है, बल्कि यह पूरी शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। “छात्रा का साल बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। इसको लेकर पहल की जाएगी,” प्राचार्य अनिल कुमार मंडल ने कहा। यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन कितनी तत्परता और गंभीरता से इस मुद्दे का समाधान करता है। गुलदरख्शा की यह कहानी केवल एक छात्रा की नहीं, बल्कि पूरे शैक्षिक तंत्र की असफलता की ओर इशारा करती है। अगर समय पर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह न केवल एक छात्रा का भविष्य बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर छात्रों का विश्वास भी खत्म कर सकता है। अब यह जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह न्याय करे और छात्रा के भविष्य को बचाए।

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प्रो. शिव चन्द्र झा, के.एस.डी.एस.यू., दरभंगा में धर्म शास्त्र के प्रख्यात प्रोफेसर रहे हैं। उनके पास शिक्षण का 40 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने मैथिली भाषा पर गहन शोध किया है और प्राचीन पांडुलिपियों को पढ़ने में कुशलता रखते हैं।
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